गांव के लोगों ने एकजुट होकर 7 दिनों में बनाई सड़क
जगदलपुर। छत्तीसगढ के बस्तर का एक पूरा गांव नक्सलियों के विकास विरोधी एजेंडे की खिलाफत में उठ खड़ा हुआ। बस्तर जिले के लोहांडीगुड़ा विकासखण्ड के भेजा के करीब 350 ग्रामीणों ने मुख्यालय तक पहुंचने के लिए सात दिन में पहाड़ का सीना चीरकर पांच किमी सड़क बना दी। सड़क के बनने से भेजा से मुख्यालय आने में करीब 15 किलोमीटर कम सफर तय करना पड़ेगा।
ग्रामीणों के मुताबिक पिछले तीन-चार साल से प्रशासन से गुहार लगाने के बाद कोई हल नहीं निकला, जिसके बाद उन्हें बच्चों और परिवार के भविष्य को देखते हुये ये कदम उठाना पड़ा। ग्रामीणों के साथ स्वयं श्रमदान में जुटे चित्रकोट विधायक दीपक बेज ने बताया कि उन्होंने स्वयं इस बारे में जिला प्रशासन से अनुरोध किया था। इसके बाद भी कहीं से सुनवाई नहीं होने के बाद उन्होंने विधायक निधि से दो लाख रुपए देकर ग्रामीणों के साथ इस अभियान को अंजाम देने के बारे में सोचा।
लगातार सातवें दिन श्रमदान कर रहे लखमे के मुताबिक उनके पिताजी बताया करते थे कि पहाड़ी को पार कर वे मारडूम और अन्य जगह जाया करते थे। भेजा गांव को मारडूम के पास से लगी कच्ची सड़क से जुड़ने के लिए 7 किलोमीटर तक के पहाड़ को काटना था।इस पर काम करते हुए बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों ने भी जज्बा दिखाया और बारिश के दिनों में भी पांच किलोमीटर सड़क बना दी। बाकी सड़क चार दिन में बनाने का निर्णय लिया गया है।
भेजा के ग्रामीणों को ब्लाॅक मुख्यालय लोहाड़ीगुड़ा पहुंचने के लिए 36 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था। सड़क बनने से अब यह दूरी 21 किलोमीटर हो जाएगी। कुछ दिन पहले बारिश से लोहड़ीगुड़ा का बिंता, सतसपुर, भेजा समेत आधे दर्जन गांवों से सड़क संपर्क कट गया था। ऐसे में ग्रामीण राशन व नमक के लिए भी करीब एक सप्ताह से ज्यादा भटकते रहे थे, जिसके बाद उन्होने सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया।