• ऑनलाइन प्लेटफार्म साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना

    नई दिल्ली। ऑनलाइन डेटिंग सर्विस और एप के बढ़ते प्रचलन के साथ-साथ इसका प्रयोग करनेवाले भारतीय लड़के-लड़कियां इन प्लेटफार्म पर सुरक्षा संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे प्लेटफार्म साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना हैं। ...

     

    ऑनलाइन प्लेटफार्म साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना

    नई दिल्ली।  ऑनलाइन डेटिंग सर्विस और एप के बढ़ते प्रचलन के साथ-साथ इसका प्रयोग करनेवाले भारतीय लड़के-लड़कियां इन प्लेटफार्म पर सुरक्षा संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे प्लेटफार्म साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना हैं। वैश्विक सॉफ्टवेयर सुरक्षा कंपनी नॉर्टन बाई सिमेंटेक 

    द्वारा किए गए एक अध्ययन में कहा गया है, "भारत में करीब 38 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि वे ऑनलाइन डेटिंग एप्स का इस्तेमाल करते हैं। वास्तविकता में भारत में करीब छह फीसदी महिलाएं और 13 फीसदी पुरुष अपने मोबाइल फोन में डेटिंग एप्स रखते हैं।"नॉर्टन मोबाइल सर्वेक्षण में बताया गया कि जो लोग मोबाइल में डेटिंग एप रखते थे, उनमें से करीब 64 फीसदी महिलाओं और 57 फीसदी पुरुषों ने सुरक्षा संबंधी परेशानियों का सामना किया। 


    नॉर्टन बाई सिमेंटेक इंडिया के कंट्री मैनेजर रितेश चोपड़ा ने बताया, "हालांकि ये एप अपनी वास्तविक पहचान छुपाते हुए ऑनलाइन डेटिंग का दावा करते हैं। लेकिन इन पर आपकी पहचान छिपी नहीं रहती और आप पीछा किए जाने, पहचान चोरी हो जाने, उत्पीड़ित होने, कैटफिशिंग और फिशिंग घोटालों के शिकार हो सकते हैं।

    इनमें 23 फीसदी लोग वायरस/मॉलवेयर, 13 फीसदी ने बेकार के विज्ञापनों, नौ फीसदी ने साइबर दुनिया में पीछा किए जाने, नौ फीसदी ने धोखे से प्रीमियम सेवा के भुगतान कर देने, छह फीसदी ने पहचान चोरी होने तथा चार फीसदी ने बदला लेने के पोर्न का इस्तेमाल होने की जानकारी दी। इस रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में लोग सबसे ज्यादा ऑनलाइन डेटिंग प्लेटफार्म का उपयोग करते हैं। दिल्ली में 51 फीसदी, चेन्नई में 39 फीसदी, कोलकाता में 36 फीसदी, मुंबई में 35 फीसदी और अहमदाबाद में 35 फीसदी लोग डेटिंग एप का उपयोग करते हैं। 

    विडंबना यह है कि जहां चेन्नई के 20 फीसदी और हैदराबाद के 21 फीसदी उपभोक्ताओं का मानना था कि ऑनलाइन डेटिंग में कोई खतरा नहीं है। जबकि वहीं सबसे ज्यादा लोग सुरक्षा संबंधी परेशानियों के शिकार बने, जो क्रमश: 68 फीसदी और 69 फीसदी है। 

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