नासा और यूराेपीय एजेंसी के साथ साझा होंगे स्कैटसैट के आंकड़े
चेन्नई। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सोमवार को प्रक्षेपित मौसम तथा सामुद्रिक अध्ययन उपग्रह स्कैटसैट-1 की तस्वीरें और आँकड़े अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा तथा यूराेपीय अंतरिक्ष एजेंसी की इकाई ईयूमेटसैट के साथ साझा किये जायेंगे। इसरो ने बताया कि स्कैटसैट-1 इससे पहले वर्ष 2009 में छोड़े गये ओशनसैट-2 के मिशन को ही आगे बढ़ायेगा।
ओशनसैट-2 के आँकड़े भी यूरोपीय और अमेरिकी एजेंसियों के साथ साझा किये जा रहे हैं। स्कैटसैट के आँकड़े भी उनके साथ साझा किये जायेंगे तथा मौसम और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने वालों को उपलब्ध कराये जायेंगे। स्कैटसैट ने अभी डाटा भेजना शुरू नहीं किया है। उससे पहले उपग्रह को उसकी अंतिम कक्षा में स्थापित कर इसका कोण 98.1 डिग्री पर करना होगा। इसके बाद इसमें लगे स्कैट्रोमीटर से मौसम संबंधी जानकारी मिलनी शुरू हो जायेगी। इसमें कू-बैंड स्कैट्रोमीटर लगाया गया है जो ओशनसैट-2 से ज्यादा उन्नत है।
यह अपने सौर पैनलों की मदद से खुद ही 750 वाट ऊर्जा पैदा करने में सक्षम है। इसकी अपेक्षित आयु पाँच वर्ष है। स्कैट्रोमीटर से हवा के प्रवाह संबंधी आँकड़े एकत्र किये जाते हैं जो तूफानों की भविष्यवाणी करने और मौसम संबंधी जानकारी देने में काफी उपयोगी साबित होते हैं। स्कैटसैट का प्रक्षेपण सोमवार को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी35 से किया गया था। इसे 730 किलोमीटर की ऊँचाई वाली कक्षा में स्थापित किया गया है। इसके साथ पाँच विदेशी समेत सात अन्य उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया था जिन्हें 680 किलोमीटर की ऊँचाई वाली कक्षा में स्थापित किया गया है।