• हीरो एमटीबी हिमालया : पहले दिन भारतीय राइडरों में शिवेन ने मारी बाजी

    शिमला ! एशिया की सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रैक साइकिलिंग रेस मानी जाने वाली हीरो एमटीबी हिमालया रैली के पहले दिन रविवार को शिवेन फिनिश लाइन सबसे पहले पार करने वाले भारतीय राइडर रहे।...

    शिमला !  एशिया की सबसे चुनौतीपूर्ण ट्रैक साइकिलिंग रेस मानी जाने वाली हीरो एमटीबी हिमालया रैली के पहले दिन रविवार को शिवेन फिनिश लाइन सबसे पहले पार करने वाले भारतीय राइडर रहे। एमटीबी शिमला रैली-2016 में स्टूडेंट वर्ग के विजेता रहे शिवेन ने तीन घंटे 29 मिनट 15 सेकेंड में पहले चरण की रेस पूरी की। शिवेन ओवरऑल 10वें जबकि ओपन मेन सोलो कैटेगरी में छठे स्थान पर रहे। भारतीय राइडरों में डेविड कुमार (3:49:42) दूसरे और राकेश राणा (3:50:34) तीसरे स्थान पर रहे। ओवरऑल डेविड 12वें और राकेश 14वें स्थान पर रहे। भारत के स्टार राइडर और तीन बार से लगातार एमटीबी शिमला रैली के मौजूदा विजेता देवेंद्र ठाकुर भारतीय राइडरों में सातवां और ओवरऑल 23वां स्थान हासिल कर सके। हीरो एक्शन टीम की ओर से हिस्सा ले रहे देवेंद्र ने पहले चरण की रेस पूरी करने में चार घंटे 18 मिनट 33 सेकेंड का समय लिया। 2014 के विजेता कनाडा के कोरी वालास ने पहले चरण की रेस सबसे पहले पूरी की और येलो जर्सी हासिल करने में सफल रहे, जबकि अमेरिका के थॉमस टर्नर दूसरे स्थान पर रहे। आस्ट्रेलिया के जेसन इंग्लिश तीसरा स्थान हासिल करने में सफल रहे। एशिया की सबसे जटिल ट्रैक साइकिलिंग रेस का आगाज सुबह 10 बजे हुआ। पहले स्थान पर रहे वालास ने 12 बजकर 50.4 मिनट पर रेस पूरी की, जबकि थॉमस उनसे मात्र 44 सेकेंड पीछे दूसरे स्थान पर रहे। ओपन वुमन सोलो कैटेगरी में मौजूदा विजेता कैथरीन विलियमसन अपना दबदबा कायम रखने में सफल रहीं, वहीं इल्डा परेरा ने भी अपेक्षित प्रदर्शन किया और दूसरा स्थान हासिल किया। विलियमसन ने तीन घंटा 22 मिनट 40 सेकेंड में रेस पूरी की, जबकि इल्डा ने तीन घंटा 30 मिनट 35 सेकेंड का समय लिया। टीम ऑफ टू कैटेगरी में आंद्रियास हार्टमैन और मैनुएल विसेनबाखर अव्वल रहे। ओपन मास्टर्स सोलो कैटेगरी में जोहान लाबुशाग्ने, जबकि ग्रैंड मास्टर्स सोलो कैटेगरी में जॉन जैक फंक शीर्ष पर रहे। अब तक के सबसे कठिन और चुनौतीपूर्ण माने जा रहे हीरो एमटीबी हिमालया रैली के मौजूदा संस्करण के पहले चरण में राइडरों ने 2026 मीटर का इलीवेशन गेन किया, जबकि 1830 मीटर की ढलान से उन्हें गुजरना पड़ा। कुल 67 राइडरों में सिर्फ एक राइडर पहले दिन रेस पूरी नहीं कर सका और इस दौरान 2-3 राइडरों की बाइक दुर्घटना का शिकार भी हुईं लेकिन राइडरों को मामूली खरोंचें आईं। रैली में पहली बार हिस्सा ले रहे जर्मनी के विलिबर्ट ड्रिसेन को भी चोट लगी। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "सिंगल ट्रैक कई जगह बेहद खतरनाक रहे और एक जगह मेरी बाइक किसी बड़े पत्थर से टकराकर रुक सी गई और मैं गिर पड़ा। एक जगह तो रास्ते के लिए निशान न होने की वजह से मैं भटक गया और मुझे कुछ पांच किलोमीटर अतिरिक्त साइकिल चलानी पड़ी।" वहीं शुरू से इस रैली का हिस्सा रहे और हमेशा नंगे पैर साइकिलिंग करने वाले महाराष्ट्र के सांगली निवासी दत्ता पाटील ने कहा, "मैं अभी शुरू के दो-तीन दिन सुरक्षित तरीके से रेस पूरी करना चाहूंगा और नए रास्ते को समझने की कोशिश करूंगा। सिंगल ट्रैक कई जगह वाकई बहुत खतरनाक है और उस पर संभलकर चलने की जरूरत है।" रेस को लेकर स्थानीय लोगों, खासकर बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह देखा गया। राइडरों ने भी रास्ते में बच्चों से मुलाकात की, उनसे हाथ मिलाया और फोटो भी खिंचवाई। राइडरों ने बच्चों को साइकिलिंग के बारे में बताया और नोटबुक भी बांटीं गईं। आठ चरणों में हिमालय के दुरूह मार्ग से होते हुए यह रैली 650 किलोमीटर का रास्ता तय कर धर्मशाला में संपन्न होगी।


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