• अवमानना नोटिस के खिलाफ माल्या की याचिका पर बैंकों से जवाब मांगा

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका का जवाब दें...

    नई दिल्ली !  सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के संघ से कहा है कि शराब कारोबारी विजय माल्या की उस याचिका का जवाब दें जिसमें उन्होंने अवमानना की नोटिस को वापस लेने की मांग की है। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद माल्या द्वारा अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों का खुलासा नहीं करने की वजह से अवमानना याचिका दायर की गई है। न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन की खंडपीठ ने एसबीआई को 10 दिन का समय जवाब दाखिल करने के लिए दिया है। अदालत ने माल्या को इस पर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 सितंबर 2016 की तारीख तय की है।

    माल्या के वकील महेश अग्रवाल ने कहा कि शराब कारोबारी का तर्क है कि संपत्ति का खुलासा बैंकों की बकाया राशि के निपटान के लिए था। चूंकि किसी तरह का समझौता नहीं हो पा रहा है, ऐसे में उन्हें खुलासे के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता और इस वजह से संपत्ति का खुलासा नहीं करने से अदालत की कोई अवमानना नहीं हुई है।

    माल्या अभी लंदन में रह रहे हैं। उन्होंने संपत्ति का खुलासा नहीं किए जाने के आरोपों पर अपने वकील के जरिए कहा कि उन्होंने अपनी संपत्ति और देनदारियों का खुलासा अदालत में 31 मार्च को सीलबंद लिफाफे में जमा किया है। इसमें दी गई जानकारी 'सटीक' है और यह जानकारी उन्हें कर्ज देने वाले बैंकों को अर्थपूर्ण समझौते के लिए एक बेहतर आइडिया देगी।

    उन्होंने अवमानना प्रक्रिया को प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया जिसका कर्ज देने वाले बैंकों ने परोक्ष उद्देश्यों के लिए सहारा लिया है। माल्या ने अपने आवेदन में अदालत से अवमानना नोटिस जारी करते समय सावधानी रखने का आग्रह किया। माल्या ने अपने अर्जी में कहा कि अवमानना की कार्यवाही का सहारा बकाया राशि की वसूली के लिए नहीं लिया जा सकता।

    महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से कहा कि आदेश को वापस लेने की माल्या की याचिका को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। वह (माल्या) अदालत के अवमानना नोटिस का जवाब देने के लिए खुद मौजूद होने में नाकाम रहे हैं। लेकिन, न्यायमूर्ति नरीमन ने रोहतगी को माल्या की अर्जी का जवाब देने के लिए कहा ताकि अवमानना के इस मामले में बहस पूरी हो। इसे अंतिम तौर पर किसी मंगलवार को सुना जा सके।


    शीर्ष अदालत ने 25 जुलाई को बैंकों के संघ की याचिका पर माल्या के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की मांग पर नोटिस जारी किया था। माल्या पर खुद, पत्नी और भारत और विदेश में रह रहे बच्चों की संपत्ति का खुलासा पूर्ण रूप से नहीं किए जाने का आरोप है।

    रोहतगी ने अदालत में अवमानना नियमों का जिक्र करते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के नियम के अनुसार एक व्यक्ति, जिसके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी हुआ है, उसे अदालत ने अगर छूट नहीं दी है तो उसे खुद अदालत में जवाब देने के लिए हाजिर होना होता है।

    रोहतगी ने कहा कि न तो माल्या खुद मौजूद हुए और न ही उन्होंने कोई आवेदन उपस्थिति से छूट देने के लिए दिया।

    उन्होंने कहा, "वह आज उपस्थिति होने के लिए बाध्य हैं, यदि वह मौजूद नहीं हैं..तो उन्हें नहीं सुना जा सकता।"

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