• साइकिल बनी पुलिस अधीक्षक की सवारी

    लोगों से संवाद के लिए पुलिस अधीक्षक ने साइकिल को बनाया सवारी। कटनी जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी इन दिनों काफी चर्चा में हैं। एक तरफ उनकी कार्यशैली है तो दूसरी ओर जीवनशैली।...

    लोगों से संवाद के लिए पुलिस अधीक्षक ने साइकिल को बनाया सवारी

    भोपाल, 29 अगस्त। साइकिल बनी पुलिस अधीक्षक की सवारी। यह पढ़ने-सुनने में अचरज में डालने वाला हो सकता है, मगर मध्य प्रदेश में एक ऐसे पुलिस अधीक्षक हैं जो अपराध पर काबू पाने, जनता से सीधा संवाद स्थापित करने के साथ सेहत को दुरुस्त रखने के लिए साइकिल की सवारी करते हैं।

    मध्य प्रदेश के कटनी जिले के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी इन दिनों काफी चर्चा में हैं। एक तरफ उनकी कार्यशैली है तो दूसरी ओर जीवनशैली। तिवारी सुबह के वक्त कभी भी अपने आवास से साइकिल से निकल पड़ते हैं। वे हर रोज लगभग 25 से 30 किलोमीटर साइकिल से अपने जिले में घूमते हैं। इस दौरान वे शहर की गलियों से लेकर गांवों तक जाते हैं।

    कानपुर आईआईटी से स्नातक और वर्ष 2010 बैच के भारतीय पुलिस अधिकारी (आईपीएस) गौरव तिवारी कटनी के पुलिस अधीक्षक बनने से पहले कई अन्य जिलों के पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं, जिनमें नक्सल प्रभावित जिला बालाघाट भी शामिल है।

    तिवारी ने कहा कि साइकिल से घूमने के कई लाभ हैं। एक तरफ जहां जनता के बीच भरोसा पैदा होता है, संवाद करने से कोई हिचकिचाता नहीं है, वहीं पुलिस कार्यप्रणाली की जमीनी हकीकत का भी पता चलता है। साथ ही मौके पर पहुंचने से पहले किसी को खबर भी नहीं हो पाती कि पुलिस अधीक्षक आ रहे हैं। बत्ती वाली गाड़ी से जाने पर पुलिस कर्मियों से लेकर अन्य लोग सतर्क हो जाते हैं। इसके अलावा साइकिल चलाना सेहत के लिए भी अच्छा है।

    कटनी जिला आर्थिक अपराधों, खासकर अवैध शराब और अवैध खनन के लिए चर्चित रहा है।

    तिवारी बताते हैं कि उनके साइकिल से घूमने पर जनता के बीच पुलिस का भय खत्म हुआ है और लोगों से सीधे संवाद करने का लाभ मिला है। नतीजा है कि अवैध शराब और खनन की सूचनाएं उन तक सीधे आने लगी हैं। इन सूचनाओं की बदौलत दोनों अवैध कामों पर लगाम कसी जा सकी है।


    तिवारी के साइकिल से निकलने का कोई खास समय तय नहीं है। वे अपनी सुविधा के मुताबिक साइकिल से निकल पड़ते हैं। उनके साईकिल से पहुंचने पर थानों में हड़कंप मच जाता है। इतना ही नहीं, जहां भी उन्हें कुछ लोग जमा दिखते हैं, वे उनके बीच पहुंच जाते हैं। स्कूल, वृद्धाश्रम, बालसुधार गृह का भी कभी-कभी भ्रमण कर आते हैं। उन्होंने अपना सरकारी और व्यक्तिगत मोबाइल नंबर सार्वजनिक कर रखा है। इसलिए उन्हें भरपूर सूचनाएं मिलती हैं।

    तिवारी बताते हैं कि हर रोज उन्हें 100 से ज्यादा सूचनाएं मिलती हैं, जिनमें अपराधों की जानकारी से लेकर अपराध होने की पूर्व सूचनाएं भी शामिल होती हैं। इतना ही नहीं पुलिस कर्मचारियों की कार्यशैली के बारे में भी लोग बिना किसी भय के बताते हैं। परिणामस्वरूप अपराधी तक पहुंचना आसान हो जाता है और गड़बड़ करने वाले पुलिस कर्मियों को दंड दिया जा सकता है।

    राज्य के सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक एन. के. त्रिपाठी कहते हैं कि अपराधों पर काबू पाने और खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए पुलिस का जनता से जुड़ाव जरूरी है। कटनी के पुलिस अधीक्षक ऐसा कर रहे हैं और यह सराहनीय है। ब्रिटेन में तो पुलिस पैदल चलती है।

    सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल सिंह (67) कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में अभी तक ऐसा पुलिस अधीक्षक नहीं देखा है जो अपराध रोकने और जनता में पुलिस के प्रति विश्वास पैदा करने के लिए साइकिल से घूमा हो।

    (आईएएनएस)

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