• पटाखा गोदाम में विस्फोट, बच्ची की मौत, 2 घायल

    पन्ना ! शहर से लगे ग्राम पुरूषोत्तमपुर में आज सुबह हुए विस्फोट ने लोगों को हिला दिया। इस विस्फोट में पांच साल की मासूम चीनी गुप्ता की मौत हो गई, जबकि उसके पिता नीरज गुप्ता और चाचा हार्दिक गुप्ता हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए। बताया जाता है कि नीरज गुप्ता अपने भाई और बेटी के साथ गोदाम में गया था।...

    पन्ना !   शहर से लगे ग्राम पुरूषोत्तमपुर में आज सुबह  हुए विस्फोट ने लोगों को हिला दिया।  इस विस्फोट में पांच साल की मासूम चीनी गुप्ता की मौत हो गई, जबकि  उसके पिता नीरज गुप्ता और चाचा हार्दिक गुप्ता हादसे में गंभीर रूप से घायल हुए। बताया जाता है कि नीरज गुप्ता अपने भाई और बेटी के साथ गोदाम में गया था। इस नवनिर्मित गोदाम में कुछ काम चल रहा था। इसी दौरान अचानक गोदाम में चिंगारी भडक़ गई। इससे पहले कोई कुछ समझ पाता एक विस्फोट के साथ गोदाम में आग लग गई। किसी तरह नीरज और उसका भाई हार्दिक घर से निकल पाये, लेकिन उसकी पांच साल की बेटी वहीं फंस गई, इसके कुछ समय में बाद एक और धमका हुआ और पूरे गोदाम के परखच्चे उड़ गये।   स्कूल में सहमे बच्चे पटाखा गोदाम के लिये शहर से बाहर भण्डारण की अनुमति दी जाती है। गोदाम कहने को तो शहर से बाहर था, लेकिन यहां से महज 100 मीटर की दूरी पर शहर का एक प्रतिष्ठित स्कूल भी है, जिसे नजर अंदाज करते हुए पटाखा भंडारण का लायसेंस दिया गया। बताया जाता है कि पहले विस्फोट से ही पास के महार्षि स्कूल में हडक़म्प मच गया। स्कूल के शिक्षक और छात्र कुछ समझ पाते ही कुछ ही देर में हुए जोरदार विस्फोट ने स्कूल की बिल्डिंग तक को हिला दिया। इस दहला देने वाले विस्फोट के बाद स्कूल प्रबंधन ने तुरंत ही बच्चों को खुले मैदान में बुलाया और हादसे की जगह से दूर रखने का प्रयास किया। स्कूल प्रबंधन ने ही पुलिस को हादसे की सूचना दी। इतना ही नहीं गोदाम के समीप ही एक शासकीय स्कूल भी है। जहां भी बच्चे इस हादसे से सहमे हुए नजर आये। यदि उत्सुकतावश बच्चे धमाका देखने पहुंच जाते और उसके बाद बड़ा विस्फोट होता, तो पेटलाबाद की घटना फिर ताजा हो जाती। अत्याधिक भण्डार बना बड़े हादसे की वजह कहने को निर्धारित मात्रा के लिये शासन स्तर पर लायसेंस दिये जाते हैं, लेकिन लायसेंस देने के बाद प्रशासन स्तर पर भण्डारण का निरीक्षण नहीं किया जाता। जिसके चलते मनमाने ढग़ से भण्डारण होता है। इतना ही नहीं भण्डारण स्थल पर पटाखों को बनाया भी जाता है, जो हादसे का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों की मानें तो हादसा अगरबत्ती की चिंगारी से हुआ। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि नवनिर्मित गोदाम में बेल्डिंग का कार्य हो रहा था, जिससे यहां हादसा घटित हो गया। फिलहाल हादसे के कारणों की पड़ताल की जा रही है। हादसों में गंवाया खानदान नीरज गुप्ता के गोदाम में आज हुआ हादसा पहला नहीं है, बताया जाता है कि नीरज और उसका परिवार कई पीढिय़ों से पटाखे का व्यवसाय करते रहे हैं। करीब 22 वर्ष पूर्व ऐसे ही हादसे में नीरज गुप्ता के दादा सहित दो लोगों की मौत हुई थी। लेकिन परिवार ने व्यवसाय नहीं छोड़ा। 18 दिसम्बर 2014 को नीरज गुप्ता के निज निवास में पटाखा बनाते हुए उसके पिता सीताराम गुप्ता एवं मां बीना गुप्ता इसी तरह के विस्फोट का शिकार हुए। इस हादसे में सीताराम की मौत हो गई, जबकि बीना गुप्ता गंभीर रूप से घायल हुए। इस हादसे से भी परिवार ने सबक नहीं लिया और व्यवसाय जारी रखा। अंतत: आज हुए हादसे में परिवार की नन्हीं सदस्य चीनी की मौत हुई।


    5 घंटे बाद निकला शव हादसे में मासूम शव को घर से निकालने में पुलिस और प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी। विस्फोट के बाद भी गोदाम में लगातार विस्फोट हो रहे थे, इसके लिये आग पर काबू पाना पहली प्राथमिकता था। इसके लिये कलेक्टर पन्ना ने अजयगढ़, देवेन्द्रनगर, ककरहटी, अमानगंज सहित पन्ना के सभी फायर बिग्रेड के वाहनों को यहां तैनात कर दिया। पांच वाहनों ने इस आग पर लगातार पानी डाला गया। तब जाकर आग बुझ सकी और मासूम के शव को बाहर निकाला जा सका। बताया जाता है कि मासूम बच्ची आज पहली बार अपने पिता के साथ गोदाम घूमने गई थी, लेकिन यहां से वह वापिस नहीं लौट सकी।

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