राम के कोसल राज्य की राजधानी थी 'कोसीर'
रायपुर। भगवान राम के छत्तीसगढ़ में राजधानी बनाने का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में मिलता है। इसके अनुसार, भगवान राम द्वारा निर्मित कोसल राज्य की राजधानी कोसीर (कुशावती) है, जो छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के सारंगगढ़ जनपद से महज 15 किलोमीटर दूर है। इस बात की पुष्टि छत्तीसगढ़ अस्मिता प्रतिष्ठान व राम वनगमन शोध संस्थान के संस्थापक डॉ. मन्नूलाल यदु और रामराज्य अभियान के अध्यक्ष राधाकृष्ण गुप्ता ने की है।
राधाकृष्ण ने बताया कि कोसीर यानी कुशावती में कोसल राज्य की राजधानी के अवशेष के रूप में किला, खाई, नदी-बंदरगाह, कोसलेश्वरी मंदिर आदि विद्यमान हैं। उनका कहना है कि भगवान राम ने अपने बेटे कुश को कोसल राज्य का राजपाठ सौंपा था। वहीं लव को अयोध्या का राज सौंपा था। इसे विश्व सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भारत सरकार द्वारा मान्यता मिलने के बाद अब वे केंद्रीय इस्पात मंत्री विष्णुदेव साय से मिलकर इस आशय का ज्ञापन सौपेंगे।
डॉ. मन्नूलाल यदु एवं राधाकृष्ण गुप्ता ने बताया कि छत्तीसगढ़ अस्मिता प्रतिष्ठान के विगत 10 वर्षो के शोध कार्य से रामायणकालीन इतिहास की अनेक गुत्थियों को सुलझाने का भरपूर प्रयास हुआ है। इससे रामकथा में दुनिया के समक्ष नए-नए तथ्य प्रकाश में आए हैं।उन्होंने बताया कि रामचंद्र के 14 वर्ष दंडकारण्य निवास के अंतर्गत 12 वर्ष की कथा अर्थात रामचंद्रजी के चित्रकूट से प्रस्थान कर पंचवटी तक पहुंचने तक की कथा का कोई प्रामाणिक इतिहास नहीं था। इसलिए चित्रकूट के लोग मानते हैं कि भगवान राम ने 12 वर्ष चित्रकूट में बिताए थे।
दूसरी ओर, पंचवटी के लोग भी यही मानते हैं कि भगवान राम ने 12 वर्ष पंचवटी में निवास किया था। 12 वर्ष के इस अज्ञात इतिहास का प्रामाणिक विवरण छत्तीसगढ़ रामवनगमन शोध संस्थान ने छत्तीसगढ़ की रामायण में प्रस्तुत किया है तथा छत्तीसगढ़ में राम वनगमन मार्ग को भी नक्शे के द्वारा लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है।
इस नक्शे के माध्यम से सारे दुनिया के लोगों को यह भलीभांति ज्ञात हो गया कि चित्रकूट के बाद भगवान राम मध्यप्रदेश के सतना, पन्ना, शहडोल-सीधी जिले से छत्तीसगढ़ पधारे थे। यदु ने बताया कि छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले से कोंटा तक की यात्रा में प्रभु रामचंद्र ने 12 वर्ष बिताए थे। उसके बाद तेलंगाना प्रदेश के भद्राचलम होते हुए गोदावरी के तट पर महर्षि अगस्त्य के आश्रम के पास पंचवटी में पर्णकुटी बनाकर निवास किए। इस नए इतिहास की जानकारी कानपुर की संस्था मानस संगम को प्राप्त हुई।
उन्होंने रामकथा के इस नए इतिहास के शोधकर्ता डॉ. मन्नूलाल यदु को दिसंबर 2012 में मानस संगम साहित्य सम्मान प्रदान किया था। वहीं राधाकृष्ण गुप्ता ने राम वनगमन मार्ग की प्रामाणिक जानकारी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को दी थी। इसके बाद भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के कोरिया से कोंटा तक ग्यारह सौ किलोमीटर सड़क मार्ग को राष्ट्रीय राम वनगमन मार्ग घोषित किया है। यह मार्ग शीघ्र पूर्ण होने वाला है।
उन्होंने बताया कि रामायण एवं दंडाकारण्य की प्रतियां केंद्रीय पर्यटन मंत्री डॉ. महेश शर्मा को भी भेंट की गई। साथ ही छत्तीसगढ़ के राम इतिहास के पर्यटन स्थलों की प्रामाणिक जानकारी दी गई थी और उनसे छत्तीसगढ़ के लिए तीन रामायण सर्किट एक-उत्तर छत्तीसगढ़ के लिए सूरजपुर, दो मध्य छत्तीसगढ़ के लिए राजिम या रायपुर, तीसरा दक्षिण छत्तीसगढ़ के लिए जगदलपुर रामायण सर्किट की मांग की थी।
डॉ. शर्मा ने संप्रति दक्षिण बस्तर के जगदलपुर को एक रामायण सर्किट प्रदान की थी। गुप्ता ने बताया कि रामचंद्र द्वारा निर्मित कोसल राज्य की राजधानी कोसीर (कुशावती है) जो सारंगगढ़ से 15 किलोमीटर दूर है। यहां कोसल राज्य की राजधानी के अवशेष विद्यमान हैं।