प्रणब मुखर्जी ने पर्यावरण असंतुलन पर चिंता जाहिर की
राजगीर। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पर्यावरण असंतुलन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सभी देश पर्यावरण को लेकर एक दूसरे पर दोषारोपरण करने के बजाए यदि अपनी जिम्मेवारियों को नहीं निभाते हैं तो पूरी मानव सभ्यता को गंभीर परिणाम भुगतना होगा । मुखर्जी ने आज यहां नालंदा विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में कहा कि पर्यावरण सिर्फ विद्यार्थियों के लिए ही नहीं बल्कि पूरी सभ्यता के लिए गंभीर चिंता का विषय है ।
आने वाले समय में मानव सभ्यता अपने आप को कैसे बचा पायेगी, यह गंभीर चुनौती है । आज पर्यावरण को लेकर सभी बड़े देश एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं , लेकिन कोई भी जिम्मेवारी नहीं ले रहा है। उन्होंने कहा कि सभी देश अपनी जिम्मेवारी समझें वर्ना पूरी मानव सभ्यता को गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना होगा ।
राष्ट्रपति ने आपसी सहमति के लिए शैक्षणिक परिसरों में वाद-विवाद और विचार-विमर्श पर जोर देते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में यदि वाद-विवाद ,विचार-विमर्श और विचारों का अदान-प्रदान नहीं होगा तो और कहां होगा । उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से अपने दृष्टिकोण और विचारों से बाहर निकलकर वाद-विवाद और विचार-विमर्श में हिस्सा लेने की सलाह दी ।