• हाईकोर्ट का पीएससी परीक्षा गड़बड़ी मामले मेें बड़ा फैसला : पीएससी 2003 की चयन सूची रद्द

    बिलासपुर ! छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उम्मीदवार के चयन में हुई गड़बड़ी के मामले में हाईकोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया और वर्ष 2003 की परीक्षा की चयन सूची रद्द कर दी।...

    बिलासपुर !   छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की परीक्षा में उम्मीदवार के चयन में हुई गड़बड़ी के मामले में हाईकोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया और वर्ष 2003 की परीक्षा की चयन सूची रद्द कर दी। हाईकोर्ट ने मानव विज्ञान का उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा मूल्यांकन करने तथा मुख्य परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर रिस्केलिंग कर दो महीने के भीतर यानी 31 अक्टूबर 2016 तक नई चयन सूची जारी करने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में माना है कि परीक्षा में उम्मीदवारों ने चयन में गड़बड़ी हुई ओर नियमानुसार स्केलिंग किए बिना मनमाने ढंग से चयन सूची तैयार कर उम्मीद्वारों का चयन कर लिया गया जिससे परीक्षा में टॉपर रहे कुन्दन कुमार का चयन नहीं हुआ जबकि प्रारंभिक परीक्षा पास न कर पाने वाले उम्मीदवार का चयन कर लिया गया। बेंच ने वर्ष 2003 की पीएससी परीक्षा की यह चयन सूची रद्द करते हुए मानव विज्ञान की उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा जांच करने तथा प्राप्तांकों की रिस्केलिंग कर नई चयन सूची दो महीने अर्थात 31 अक्टूबर 2006 तक जारी करने के आदेश दिए  हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि जो चयनित उम्मीदवार इस चयनसूची में नहीं आते हैं, उन्हें एक महीने में प्रक्रिया पूरी कर नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए। इस फैसले से पीएससी वर्ष 2003 की परीक्षा में चयनित 147 उम्मीदवार प्रभावित होंगे। इनमें कुछ डिप्टी कलेक्टर तो कुछ डीएसपी और कुछ अन्य पदों पर शासकीय सेवा में हैं। कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला सुनने के लिए इनमें से कुछ उम्मीद्वार कोर्ट परिसर में मौजूद थे। फैसला सुनने के बाद वे काफी निराश दिखाई दिए। पीएसी ने 2003 में प्रारंभिक परीक्षा ली थी। मुख्य परीक्षा वर्ष 2005 में हुई थी और वर्ष 2006 में साक्षात्कार के बाद चयन सूची जारी की गई थी। पीएससी परीक्षा की चयन सूची में गड़बड़ी की शिकायत कुछ उम्मीदवारों ने एंटी करप्शन ब्यूरो से भी की थी। इसी बीच परीक्षा में शामिल लेकिन चयन परीक्षा में गड़बड़ी के कारण चयनित न होने वाले उम्मीदवार वर्षा डोंगरे, रविन्द्र दुबे और चमन सिन्हा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चयन सूची की वैधता को चुनौती दी, जिस पर हाईकोर्ट ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। उम्मीदवारों ने मामले की पैरवी खुद ही की। हाईकोर्ट ने इस मामले में पीएससी को याचिकाकर्ता वर्षा डोंगरे को 5 लाख रूपए और दो अन्य रविन्द्र दुबे व चमन सिन्हा को दो-दो लाख हर्जाना देने का भी आदेश दिया है। तीनों ने अपने हक में लंबी लड़ाई लड़ी। परीक्षा के बाद 13 वर्षों का समय उनके लिए काफी कठिन था और आखिरकार उनकी जीत हुई।

    एसीबी की जांच में भी गड़बड़ी के सबूत पीएससी परीक्षा में गड़बड़ी के मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो ने की थी। याचिकाकर्ताओं ने एसीबी की जांच में मिले तथ्यों का हवाला भी हाईकोर्ट के सामने रखा था। एसीबी ने पीएससी के तत्कालीन सचिव और परीक्षा नियंत्रक बी.पी.कश्यप के खिलाफ जो आरोप पत्र तैयार किया था उसमें भी परीक्षाा में गड़बड़ी के कई तथ्य उजागर किए गए थे।


    सूचना के अधिकार से सामने आई सच्चाई तीनों याचिकाकर्ताओं ने पीएससी परीक्षा में हुई इस गड़बड़ी को हाईकोर्ट में साबित करने के लिए सूचना के अधिकार के तहत् ढेरों जानकारियां जुटाई और दस्तावेजी रुप से कोर्ट के सामने रखा। इसमें 7 आरक्षित पदों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों के चयन का भी मामला सामने आया था। चयन सूची में काटाछांट कर वरीयता बदल दी गई थी। स्केलिंग के नियम का पालन नहीं किया गया था। कम अंक पाने वालों का चयन कर लिया गया। एक उम्मीदवार ऐसा भी था, जिसने प्रारंभिक परीक्षा पास नहीं की लेकिन उसका चयन कर लिया गया।एक विषय में समान अंक पाने वालों की स्केलिंग नहीं की गई। कुन्दन कुमार बिना स्केलिंग के ही टॉपर का उसका किसी पद पर चयन नहीं किया गया। मानव विज्ञान के प्रश्न पत्र में भी गड़बड़ी थी। कुछ मेंं पांच प्रश्नों का उत्तर देने को कहा था जबकि कुछ में चार प्रश्नों का उत्तर देने का उल्लेख था।  अस आधार पर अंकों में हेरफेर किया गया।

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