• शांतिपूर्ण कश्मीर के बिना भारत का भविष्य अधूरा

    श्रीनगर ! केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर में शांति के लिए एक भावुक अपील की।...

    श्रीनगर !  केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जम्मू एवं कश्मीर में शांति के लिए एक भावुक अपील की। सिंह ने कहा कि शांतिपूर्ण कश्मीर के बिना भारत का भविष्य अधूरा है। लेकिन, अलगाववादियों पर इस अपील का कोई असर होता नहीं दिखा। राजनाथ ने कहा कि जल्द ही एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलवार्ताओं के लिए कश्मीर का दौरा करगा। वार्ता राज्य में लंबे समय से चल रही अशांति और हिंसा को खत्म करने के लिए होगी। अशांत घाटी में 9 जुलाई के बाद से करीब 70 लोगों की मौत हो चुकी है। अपने दो दिवसीय कश्मीर दौरे के अंत में संवाददाता सम्मेलन में राजनाथ सिंह ने एक प्रमुख मांग स्वीकार करते हुए कहा कि अनियंत्रित भीड़ को रोकने के लिए पेलेट गन के विकल्प का फैसला 'कुछ ही दिनों में' कर लिया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि अपने कश्मीर में प्रवास के दौरान वे करीब 300 लोगों से मिले। राज्य के सभी दलों के नेताओं के साथ उनकी 'अच्छी वार्ता' हुई। गृह मंत्री ने कहा, "हर कोई शांति बहाली चाहता है। हम इन हालात से बहुत दुखी हैं, हमें लोगों के जीवन के नुकसान का बेहद दुख है।" संवाददाता सम्मेलने में मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती उनके साथ थीं। अलगाववादी नेताओं की तरफ इशारा करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि 'लोगों को कश्मीर के युवाओं के भविष्य से नहीं खेलना चाहिए।' उन्होंने कहा, "उनके (युवाओं के) हाथ में किताब, कलम और लैपटॉप होने चाहिए, पत्थर नहीं। हम कश्मीरी युवाओं का भविष्य भारत के भविष्य से जोड़ रहे हैं। मैं कश्मीरी लोगों से मुसीबत पैदा करने वालों को पहचानने की अपील करता हूं।" उन्होंने कहा कि भारत का भविष्य अभिन्न रूप से कश्मीर से जुड़ा हुआ है। राजनाथ ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों के नेता जल्द ही घाटी में गतिरोध तोड़ने के तरीके और वार्ता के लिए यहां का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा, "मैंने राज्य सरकार से इसके लिए तैयारियां करने को कहा है।" अलगाववादी नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित किए जाने के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा कि जो लोग इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत में विश्वास रखते हैं, सरकार उनसे वार्ता के लिए तैयार है। इस बार खास बात यह रही कि उन्होंने एक बार भी घाटी में संकट के लिए पाकिस्तान का नाम नहीं लिया और कश्मीर पर भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत बात किए जाने की बात भी नहीं दोहराई। अलगाववादी नेताओं ने गृहमंत्री के प्रस्ताव को यह कह कर खारिज कर दिया कि यह उस वक्त तक एक निर्थक प्रयास है जब तक सरकार यह नहीं मानती कि कश्मीर एक 'विवाद' है और इसके निपटारे के लिए भारत, पाकिस्तान और राज्य की जनता से बात की जानी चाए। अलगाववादी हुर्रियत कांफ्रेंस के दोनों गुटों के नेताओं ने इसके अलावा गृह मंत्री के कश्मीर दौरे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। विपक्ष कांग्रेस ने कहा कि सरकार को 'अपनी बयानबाजी से परे जाकर कदम उठाना चाहिए। ' कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने संवाददाताओं से दिल्ली में कहा, "जमीनी कार्रवाई की जरूरत है। एक राजनीतिक संवाद सभी हितधारकों से किया जाना चाहिए। " केंद्रीय मंत्री का घाटी में अशांति के दौरान महीने भर में यह दूसरा दौरा था। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के 8 जुलाई को मारे जाने के बाद घाटी में भयंकर अशांति पैदा हो गई है। सुरक्षाबलों और उग्र भीड़ के बीच झड़पों में अब तक 67 नागरिकों की मौत हो गई है, जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हुए हैं। पेलेट बंदूकों की वजह से सैकड़ों लोग आंशिक रूप से या पूरी तरह से अंधे हो गए हैं। महबूबा मुफ्ती ने सुरक्षा बलों द्वारा लोगों के मारे जाने को सही ठहराया और कहा कि गोलियों और पेलेट से मारे गए लोग घर से दूध या टॉफियां लाने नहीं निकले थे। जब उनसे पूछा गया कि कश्मीरी प्रदर्शनकारियों पर सेना द्वारा कथित रूप से जरूरत से अधिक बल के इस्तेमाल को वह कैसे सही ठहरा सकती हैं, जबकि वह साल 2010 में इसी तरह की अशांति के दौरान विपक्ष की नेता के तौर पर आम नागरिकों के मारे जाने की निंदा कर चुकी हैं, तो मुख्यमंत्री नाराज हो गईं और संवाददाता से दोनों स्थितियों की तुलना नहीं करने को कहा। उन्होंने वानी के मारे जाने का जिक्र करते हुए कहा, "आप गलत हैं। साल 2010 में जो घटित हुआ उसकी वजह माछिल में हुई फर्जी मुठभेड़ थी। इसमें तीन नागरिक मारे गए थे। आज तीन आंतकी एक मुठभेड़ में मारे गए और इसके लिए सरकार को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है।" उन्होंने कहा सख्त कर्फ्यू लगाए जाने के बाद भी लोग सड़कों पर निकल आए। महबूबा ने कहा, "क्या कोई बच्चा सेना के शिविर से टॉफी खरीदने गया था? क्या 15 साल का एक लड़का जिसने पुलिस स्टेशन (दक्षिण कश्मीर में) पर हमला किया, क्या वह दूध खरीदने गया था?" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि गरीब कश्मीरी युवाओं का निहित स्वार्थो के लिए ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मारे गए 90 फीसद लोग गरीब परिवारों से हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता ने कहा कि सिर्फ 5 फीसद कश्मीरी लोग हिंसा का सहारा ले रहे हैं और बाकी 95 फीसद लोग शांति चाहते हैं, कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए संवाद चाहते हैं। घाटी में गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुख्यधारा के सभी दलों और नागरिकों तथा खुफिया और सुरक्षा अधिकारियों से मिले। कश्मीर के व्यापारी निकायों ने आम नागरिकों के मारे जाने के विरोध में हालांकि राजनाथ सिंह से मिलने से इनकार कर दिया। इस बीच घाटी में 47वें दिन भी हालात शांत लेकिन कड़े कर्फ्यू से तानवापूर्ण बन रहे। अलगाववादियों का बंद जारी रहा। पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि पथराव की छिटपुट घटनाएं छह जगहों श्रीनगर, सोपोर, कुपवाड़ा और बांदीपोरा में हुईं। इनमें करीब दर्जन भर लोग घायल हो गए।


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