• उत्तराखंड का जड़ी बूटी शोध संस्थान बदहाली के कगार पर

    देहरादून। उत्तराखंड में चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के समीप राज्य का एकमात्र जड़ी-बूटी शोध संस्थान सरकार की लापरवाही के बदहाली के कगार की ओर है।...

    उत्तराखंड का जड़ी बूटी शोध संस्थान बदहाली के कगार पर

    देहरादून।  उत्तराखंड में चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के समीप राज्य का एकमात्र जड़ी-बूटी शोध संस्थान सरकार की लापरवाही के बदहाली के कगार की ओर है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में जड़ी बूटी शोध संस्थान की आज स्थिति कुछ ऐसी है कि यहां स्थाई रुप से कोई अधिकारी पदस्थ नहीं है और कुछ संविदा और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी ही इस संस्थान को चला रहे हैं।

    दूसरी तरफ अब तक इस संस्थान में किसी स्थाई वैज्ञानिक को पदस्थ नहीं किया गया है जो संस्थान की हालत को बताने के लिये काफी है। ग्रामीणों का कहना है कि जब इस क्षेत्र में संस्थान खोला गया तो सरकार ने ग्रामीणों की सैकडों नाली जमीन इस शर्त के साथ ली गई थी कि यहां स्थानीय लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जायेगा. लेकिन स्थिति यह है कि ग्रामीणों के पास जमीन रही और न ही रोजगार मिल पाया।


    इस मुद्दे को लेकर कई बार आंदोलन भी किये गये लेकिन हर बार सरकार की तरफ से आश्वासन ही मिला। संस्थान में कार्यरत एक संविदा वैज्ञानिक का कहना है कि उन्हें यहां काम करते 15 से भी अधिक का समय हो गया है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। अधिकारियों के देहरादून मोह के चलते न सिर्फ आज राज्य का एकमात्र जडी-बूटी शोध संस्थान महज नाम का शोध संस्थान रह गया है।  

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