• झारखंड विधानसभा की कार्यवाही चौथे दिन भी बाधित

    रांची। झारखंड विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार को लगातार चौथे दिन भी बाधित हुई।...

    झारखंड विधानसभा की कार्यवाही चौथे दिन भी बाधित

    रांची।  झारखंड विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार को लगातार चौथे दिन भी बाधित हुई। इस दौरान विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सरकार पर निशाना साधा। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायकों ने दो भूमि कानूनों- छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम तथा संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम में संशोधन के लिए राष्ट्रपति को भेजे गए अध्यादेश का मुद्दा उठाया।

    विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने कहा, "अगर महत्वपूर्ण मुद्दों को विधानसभा में नहीं उठाया जाएगा, तो फिर इन्हें कहां उठाया जाएगा? सरकार अपने तंत्र का इस्तेमाल विधायकों के खिलाफ कर रही है और विधानसभा को दरकिनार कर रही है। अध्यादेश ऐसे समय में राष्ट्रपति को भेजे गए हैं, जबकि विधानसभा का सत्र चल रहा है।"

    झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक के विधायक प्रदीप यादव ने ऊर्जा नीति में बदलाव पर एक स्थगन प्रस्ताव पेश किया।यादव ने कहा, "ऊर्जा नीति में बदलाव लाकर सरकार एक खास निजी ऊर्जा कंपनी को लाभ पहुंचाने का प्रयास कर रही है। इससे राज्य को दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।"जब विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने स्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया, तो विपक्षी सदस्य सदन में अध्यक्ष की आसंदी के निकट इकट्ठा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी।


    इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही अपराह्न 12.15 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो विपक्षी सदस्य एक बार फिर अध्यक्ष की आसंदी के निकट इकट्ठा हो गए और नारे लगाने लगे, जिसके कारण अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

    इस बीच, सत्तारूढ़ पार्टी ने आरोप लगाया है कि विपक्षी पार्टियों ने सदन की कार्यवाही बाधित करने के लिए लोकतांत्रिक तरीका अपना लिया है।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक बिरंची नारायण ने कहा, "कई मुद्दे हैं, जिन्हें प्रश्नकाल के दौरान उठाने की जरूरत है। लेकिन विपक्ष मुद्दों का राजनीतिकरण कर रहा है और चर्चा से भाग रहा है।"

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