• गौरक्षा के नाम पर पशु व्यापारियों का उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करे राज्य सरक

    भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश में गौरक्षा के नाम पर हो रहे पशु व्यापारियों के भारी उत्पीड़न और उनके आर्थिक शोषण की कड़े शब्दों में निंदा की है....

    लखनऊ- 26 जुलाई। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव मंडल ने उत्तर प्रदेश में गौरक्षा के नाम पर हो रहे पशु व्यापारियों के भारी उत्पीड़न और उनके आर्थिक शोषण की कड़े शब्दों में निंदा की है.

    पार्टी ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह पशु व्यापारियों की सुरक्षा करे और गौरक्षा के नाम पर लूट मचाने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करे.

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में भाकपा के राज्य सचिव डा. गिरीश ने कहा है कि समूचे उत्तर प्रदेश में ऐसे अनेक गिरोह काम कर रहे हैं जो स्थानीय पुलिस के साथ साठ-गांठ करके पशु व्यापारियों के पशु लदे वाहनों को जबरिया रोक लेते हैं और उन्हें मार पीट कर, डरा धमका कर, और पुलिस कार्यवाही का भय दिखा कर उनसे धन की उगाही करते हैं. व्यापारियों के द्वारा मना करने पर उनके पशु धन को छीनने से लेकर उन्हें मार-पीट कर जख्मी कर देने की वारदातें आये दिन की बात हो गयी है.

    प्रदेश में यह सारा गोरखधंधा गोरक्षा के नाम पर चल रहा है. वाहनों मे कोई भी पशु ले जाया जा रहा हो, भगवा ध्वजधारी और भगवा ब्रिगेड द्वारा संरक्षित ये गिरोह उन्हें वध के लिये ले जायी जा रही गाय के नाम पर रोक लेते हैं और फिर उनसे मनमानी वसूली करते हैं. चूंकि ये व्यापारी अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं अत: इन कथित गौरक्षकों को स्थानीय जनता का समर्थन भी मिल जाता है. और व्यापारी क्योंकि परदेशी होते हैं, कम तादाद में होते हैं, अतएव स्थानीय गुंडों और पुलिस के दबाव में आ जाते हैं.

    मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में डा. गिरीश ने बताया है कि कल ही जनपद मथुरा के कोसीकलां की पेंठ (स्थानीय पशु बाज़ार) से भैंस के पड्डे लेकर अलीगढ़ जा रहे व्यापारियों को इन माफियाओं ने रोक लिया और पैसे न देने पर उनमें से कई को बुरी तरह जख्मी कर दिया. पुलिस तब पहुंची जब गुंडे अपना काम निपटा के चले गये. ऐसी घटनायें प्रदेश में हर रोज हर क्षेत्र में घटित हो रही हैं, लेकिन अपने गंतव्य तक पहुंचने की जल्दी में प्रताड़ित और भयभीत व्यापारी कोई कार्यवाही भी नहीं कर पाते.

    डा. गिरीश ने प्रश्न किये हैं कि अल्पसंख्यक व्यापारियों द्वारा ले जाया जा रहा क्या हर पशु गाय है?


    उत्तर प्रदेश में गोवध पर पाबंदी है या गायों के लाने ले जाने पर?

    यदि गाय भी ले जायी जा रही है तो कथित गोरक्षकों को उन्हें रोकने अथवा वसूली करने का कानूनी अधिकार किसने दिया है? अथवा पैसे वसूलने के बाद वही पशु ले जाने वाला वैध कैसे होजाता है? ये सवाल हैं जिसका जबाव सरकार को देना है.

    मुख्यमंत्री को लिखे गये पत्र में भाकपा राज्य सचिव मंडल ने कहा है कि यूं तो उत्तर प्रदेश में यह गोरखधंधा दशकों से चल रहा है लेकिन गुजरात में हुयी दलितों की पिटाई से पैदा हुये हालात के बाद यह बेहद जरूरी हो गया है कि इस नाजायज कारगुजारी पर प्रदेश में फौरन रोक लगे. वरना यहां भी यह कृत्य कोई भी बड़ी वारदात का कारण बन सकता है. अतएव भाकपा आपसे मांग करती है कि इसकी जांच और शीघ्र समुचित कार्यवाही के लिये गृह मंत्रालय के अधीन एक विशेष जांच दल गठित करें और पशु व्यापारियों को न्याय दिलायें. यदि इससे भी कोई बडी कार्यवाही संभव हो तो भाकपा उसका स्वागत करेगी.

     

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