• ऑटो-टैक्सी चालकों का मुख्यमंत्री आवास पर भूख हड़ताल

    नयी दिल्ली। ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं से नाराज दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ऑटो-रिक्शा और टैम्पो चालकों के आज बेमियादी हड़ताल पर जाने से लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। ...

     

    ऑटो-टैक्सी चालकों का मुख्यमंत्री आवास पर भूख हड़ताल

    नयी दिल्ली।  ऐप आधारित टैक्सी सेवाओं से नाराज दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के ऑटो-रिक्शा और टैम्पो चालकों के आज बेमियादी हड़ताल पर जाने से लोगों को कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। मांगे नहीं माने जाने पर चालकों ने कल से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की है।

    हड़ताल के कारण लोगों को होने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखकर दिल्ली सरकार ने अंतरराज्यीय बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर 300 अतिरिक्त बसें तैनात की है। दिल्ली के परिवहन मंत्री सत्येन्द्र जैन हड़ताल को भारतीय जनता पार्टी समर्थित करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह भाजपा प्रायोजित हड़ताल है।सरकार दिल्ली पुलिस को शरारती तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये पहले ही पत्र लिख चुकी है ।

     जैन का दावा था कि केवल दो-चार प्रतिशत चालक ही हड़ताल में शामिल हुए है।राजधानी में करीब 85 हजार ऑटो-रिक्शा और 15 हजार काली-पीली टैक्सियां है।बड़ी संख्या में इनके चालकों के हड़ताल में शामिल होने से सुबह कार्यालय के समय लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।तिपहिया और टैक्सी चालकों ने इस बार 20 संघों की एक संयुक्त कार्य समिति का गठन किया है ।


    चालकों के प्रमुख नेता राजेन्द्र सोनी ने “ यूनीवार्ता ” के साथ बातचीत में कहा कि सरकार को लिखित में देने के बावजूद बार-बार हमसे धोखा कर रही है और इस बार बिना कोई ठोस निर्णय हुए हड़ताल वापस नहीं ली जायेगी । उन्होंने कहा कि कल से मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के बाहर भूख हड़ताल शुरू की जायेगी ।

    हड़ताल को घेरलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की ऑटो और टैक्सी यूनियनों का समर्थन प्राप्त है। हड़ताली चालकों की मुख्य मांग ऐप आधारित सेवा को बंद करने के संबंध में श्री जैन का कहना है कि इसे बंद करना दिल्ली सरकार के हाथ में नहीं है। इसे केन्द्र सरकार बंद कर सकती है । हड़ताल कर रही यूनियनों के अनुसार सरकार जब तक उनकी मांगों को नहीं मान लेती, टैक्सी और ऑटो रिक्शा सड़कों पर नहीं उतरेंगे।उनका आरोप है कि केजरीवाल सरकार से ओला और उबर के खिलाफ कई बार शिकायत करने के बावजूद सरकार ने ऐसी कंपनियों पर कोई करवाई नहीं की।

     दिल्ली सरकार ने हड़ताल को उसके खिलाफ राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा है कि ओला और उबर पर रोक लगाना उसके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है। यह कार्रवाई केवल केन्द्र सरकार कर सकती है। दिल्ली सरकार का यह भी कहना है कि उबर और ओला को राजधानी में अपनी सेवाएं देने का परमिट नहीं है फिर भी ये यहां मौजूद हैं इस बारे में केन्द्र को कार्रवाई करनी चाहिए। उसे इस बारे में पत्र भी लिखा गया लेकिन केन्द्र ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उबर का सर्वर अमेरिका में होने के कारण वह कुछ करने की स्थिति में नहीं है।  

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