• म्यूज़िक इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहा भेदभाव

    गुड़गांव। रियलिटी शो सत्यमेव ज्यते में ‘ओ रे चिरैया’ गाने से सुर्खियों में अायी गायिका सोना माेहपात्रा ने कहा कि फिल्म उद्योग की तरह अब संगीत उद्योग में भी महिला कलाकारों के साथ भेदभाव हो रहा है।...

    म्यूज़िक इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ हो रहा भेदभाव

    गुड़गांव। रियलिटी शो सत्यमेव ज्यते में ‘ओ रे चिरैया’ गाने से सुर्खियों में अायी गायिका सोना माेहपात्रा ने कहा कि फिल्म उद्योग की तरह अब संगीत उद्योग में भी महिला कलाकारों के साथ भेदभाव हो रहा है।गुड़गांव में रेड एफएम म्यूजिक कॉन्सर्ट में शामिल होने आयी सोना ने कहा कि बाॅलीवुड फिल्मों के गीतों में पुरुष गायकों को ज्यादा तव्वजो दी जा रही है ।गीतों में अगर महिला गायकों की आवाज होती भी है तो ज्यादातर में वह सहायक भमिका में होती है।

    साेना ने कहा “ आज कल फिल्मों में गायिकाआें के गीत भी कम बनते हैं अगर गायकों के सौ गीत बनते हैं तो गायिकाअों के महज10 गीत ही बनते हैं।डूएट गानों में भी गायिका सिर्फ सहायक भूमिका में रहती है।उन्होंने कहा “जब लता जी आैर अाशा जी का दौर था तब ये समस्या नहीं थी।इस मामले में कुछ साल पहले तक संगीत उद्योग में दोनों को बराबर जगह मिलता था लेकिन अब इसमें काफी बदलाव आया है।


    ” सोना ने कहा कि उन्हें स्टूडियों में गाना रिकॉर्ड करने से ज्यादा मजा लाइव परफार्म करने में आता है।उन्होंने कहा “ मैं खुद को एक पार्श्वगायक से ज्यादा परफार्मिंग आर्टिस्ट मानती हूं,मेरे लिये पार्श्वगायन ज्यादा एक्साइटिंग नहीं है।अपने समय का सिर्फ 10 प्रतिशत ही मैं स्टूडियों में दे पाती हूं और बाकी का समय स्टेज शो और गायन से जुड़े दूसरी विधाओं में देती हूं।

    ” सोना ने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी , शुरुआत में लोगों ने उन्हे आयटम सॉन्ग्स गाने की सलाह दी लेकिन उन्होंने मना कर दिया।उन्होंने कहा “ जब मैं इंडस्ट्री में आयी थी तब लोगों ने मुझसे कहा कि अापकी आवाज कर्कश है जोकि आइटम गाने के के लिये सही है लेकिन मैंने उनकी बातों को नहीं सुना,अगर उनकी बातें मान लेती तो ‘मुझे क्या बेचेगा रूपैया’,‘अंबरसरिया’,‘नैना’ जैसे गीतों को शायद मैं नहीं गाती।  

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