• आधा दर्जन से ज्यादा मोरों की मौत

    झाबुआ। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की एक तहसील में खेत में फसलों के लिए डाले गए कीटनाशक और यूरिया खाद खाने से आधा दर्जन से भी ज्यादा मोरों की मौत की खबर है। जिले की पेटलावद तहसील के ग्राम उण्डवा कोटडा, चारण कोटडा व उमरकोट में पिछले दो दिन में इन मोरों के मारे जानें की खबरें हैं।...

     

     आधा दर्जन से ज्यादा मोरों की मौत

    झाबुआ। मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले की एक तहसील में खेत में फसलों के लिए डाले गए कीटनाशक और यूरिया खाद खाने से आधा दर्जन से भी ज्यादा मोरों की मौत की खबर है। जिले की पेटलावद तहसील के ग्राम उण्डवा कोटडा, चारण कोटडा व उमरकोट में पिछले दो दिन में इन मोरों के मारे जानें की खबरें हैं।


    पेटलावद वनपरिक्षेत्र के रेंजर फतह सिंह नायक ने मोरों के मारे जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि मोर रासायनिक दवाइयों के सेवन से मारे गये हैं। मोरों के मारे जाने को लेकर किसी भी किसान के खिलाफ मानवीयता के नाते कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है। जिले की पेटलावद तहसील राष्ट्रीय पक्षी मोरों को लेकर काफी प्रसिद्ध है, लेकिन इनके संरक्षण को लेकर वनविभाग गंभीर नहीं है, जिसके चलते हर साल यहां सैकडों मोरों की मौत रासायनिक खाद के खाने से हो जाती है।

    जिला पर्यावरण वाहिनी के जिला संयोजक दिलीप सिंह वर्मा ने लगभग एक दशक पहले जिला प्रशासन को मयूर प्रोजेक्ट बनाकर दिया था, जिसमें पेटलावद तहसील के उन समस्त गांवों का जिक्र था, जहां मोर बहुतायात में पाये जाते हैं। साथ ही उनके संरक्षण और संवर्धन हेतु किस प्रकार कार्य किया जा सकता है, ये भी उसमें बताया गया था, लेकिन विभाग के इस पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के चलते इस पर कुछ नहीं हो सका। रेंजर  नायक के अनुसार सरकार को मोरों के संरक्षण के लिये 25 स्थानों का चयन कर उनके दाने पानी को लेकर अनुदान की मांग की गई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई है।  

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