• भाजपा में 'नई संस्कृति' की शुरुआत,बुजुर्ग नेताओं को मंत्री पद पर न रखने का संदेश

    भोपाल ! मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार नई संस्कृति की शुरुआत करने वाला रहा। जहां एक ओर बुजुर्ग नेताओं को मंत्री पद पर न रखने का संदेश दिया है, तो दूसरी ओर अन्य दलों से आने वालों को मंत्री पद से नवाजा गया है।...

    भोपाल !  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार नई संस्कृति की शुरुआत करने वाला रहा। जहां एक ओर बुजुर्ग नेताओं को मंत्री पद पर न रखने का संदेश दिया है, तो दूसरी ओर अन्य दलों से आने वालों को मंत्री पद से नवाजा गया है।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व सरसंघ चालक के.सी. सुदर्शन लगातार इस बात की वकालत करते रहे हैं कि राजनीति में सक्रिय रहने की उम्र तय होनी चाहिए। लगता है कि भाजपा अब उसी दिशा में बढ़ चुकी है, और वह 75 वर्ष की आयु के बाद अपने नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने को तैयार नहीं है।

    इसकी शुरुआत गुरुवार को मध्यप्रदेश से हो गई, जब दो मंत्रियों बाबूलाल गौर और सरताज सिंह को सिर्फ इसलिए इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि वे 75 पार के नेता हैं।

    पार्टी के इस फैसले का दोनों नेताओं ने पूरी ताकत से विरोध किया। इतना ही नहीं, पार्टी हाईकमान का संदेश लेकर पहुंचे प्रदेश प्रभारी डॉ. विनय सहस्रबुद्धे और प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान को भी खरी-खरी सुनाई। सरताज सिंह तो यहां तक कह गए कि चुनाव उम्र से नहीं, बल्कि काम के आधार पर जीते जाते हैं यह संदेश भी पार्टी तक पहुंचा दिया जाए।

    हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी का निर्देश मानते हुए इस्तीफा दे दिया। गौर ने भी पार्टी निर्देश का हवाला दिया।

    सूत्रों का कहना है कि सरताज ने अपने को पद से हटाने के फैसले पर एतराज जताया और तर्क दिया कि उनकी उम्र न देखी जाए, काम देखा जाए। तो उनसे पार्टी नेतृत्व ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर एक नीति बनाई है, जिसके मुताबिक 75 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों को बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी।


    दोनों मंत्रियों के इस्तीफे पर मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा है कि उन दोनों ने अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाया और पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर पद से इस्तीफा दे दिया है, जो उन तक पहुंच गया है।

    एक तरफ जहां भाजपा ने वरिष्ठ नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी से निवृत्त किया है तो दूसरी ओर मंत्रिमंडल विस्तार में उन दो विधायकों को राज्यमंत्री बनाया है, जो अरसे तक दूसरे दलों में रहे हैं मगर वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं।

    इतना ही नहीं, उनके पिता भी कांग्रेस के प्रभावशाली नेता रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह के बेटे हर्ष सिंह और पूर्व मंत्री सत्येंद्र पाठक के बेटे संजय पाठक भी मंत्री बने हैं। संभवत: राज्य की सियासत में यह पहला मौका होगा, जब कांग्रेस पृष्ठभूमि के परिवार के विधायक भाजपा की सरकार में मंत्री बने हों।

    विंध्य क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मिश्रा का मानना है कि भाजपा मंे भी अब कोई सैद्धांतिक बात नहीं रही, वह भी राजनीतिक अवसर भुनाने में भरोसा करने लगी है। जो कभी कांग्रेस में होता था, अब वही भाजपा में होने लगा है।

    उन्होंने कहा, "एक तरफ उम्र के नाम पर प्रभावशाली नेताओं को बाहर किया जा रहा है, वहीं दूसरे दलों से आने वालों को मंत्री बनाने में भी परहेज नहीं है।"

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