• एनएसजी में नाकामी के बाद मिली राहत, एमटीसीआर में भारत का प्रवेश

    नई दिल्ली ! भारत ने व्यापक विनाश के हथियारों को ले जाने में सक्षम प्रक्षेपास्त्रों की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में 35वें सदस्य के रूप में आज प्रवेश किया।...

    नई दिल्ली !  भारत ने व्यापक विनाश के हथियारों को ले जाने में सक्षम प्रक्षेपास्त्रों की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में 35वें सदस्य के रूप में आज प्रवेश किया। साउथ ब्लॉक स्थित विदेश मंत्रालय में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत अलेक्सांद्र जीगलर, नीदरलैंड के राजदूत अल्फोंसस स्टोयलिंगा और लक्जमबर्ग के राजदूत सैम श्रीनेर की मौजूदगी में इस 34 सदस्यीय समूह में प्रवेश संबंधी दस्तावेज पर आज सुबह करीब दस बजे हस्ताक्षर किए। बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में से एमटीसीआर ऐसी पहली व्यवस्था है, जिसमें भारत ने प्रवेश किया है। अन्य व्यवस्थाओं में एनएसजी, ऑस्ट्रलिया समूह और वेसेनार समूह शामिल हैं, जो परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण का नियमन करते हैं। भारत को होगा फायदा सदस्यता हासिल करने के बाद भारत को सदस्य देशों से अत्याधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी हासिल करने तथा रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मïोस प्रक्षेपास्त्र के निर्यात करने की छूट मिल गयी है। अफगानिस्तान में तालिबान पर कहर बरपाने वाले प्रीडेटर ड्रोन भी भारत को मिल सकेंगे। 1987 में बना था एमटीसीआर एमटीसीआर का गठन 1987 में सात देशों ने कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका ने विश्व को प्रक्षेपास्त्रों की अंधी दौड़ में शामिल होने से बचाने के उद्देश्य से किया था। यह समूह बैलिस्टिक एवं क्रूज प्रक्षेपास्त्रों और ड्रोन के प्रसार को नियंत्रित करता है। ब्रह्मïोस बेचने का रास्ता साफ इस व्यवस्था में सदस्य देशों को 300 किलोमीटर से अधिक रेंज के प्रक्षेपास्त्रों को निर्यात की अनुमति नहीं है। भारत में विकसित ब्रह्मïोस प्रक्षेपास्त्र की रेंज 290 किलोमीटर है इसलिये भारत अब इस प्रक्षेपास्त्र को निर्यात करने में समर्थ होगा।

    खराब रिकॉर्ड के कारण चीन नहीं बन पाया सदस्य चीन द्वारा 2004 से एमटीसीआर की सदस्य पानी की कोशिश की जा रहीं हैं, लेकिन मिसाइल कार्यक्रम में उसके खराब रिकॉर्ड के कारण अभी तक उसे इस ग्रुप में प्रवेश नहीं मिल पाया है। चीन पर आरोप लगता रहा है कि उसके सहयोग से ही उत्तर कोरिया का मिसाइल कार्यक्रम चल रहा है, चीन इससे इनकार करता रहा है।


    एमटीसीआर से भारत को मिली चीन पर बढ़त एनएसजी में सदस्यता के भारत के आवेदन को चीन के विरोध से मंजूरी नहीं मिल पाई थी, जिसे भारत की असफलता माना गया लेकिन एमटीसीआर में सदस्यता लेकर भारत ने इस मामले में चीन से बढ़त बना ली है। इस समूह में सदस्यता के चीन के आवेदन को पहले खारिज किया जा चुका है।

     

अपनी राय दें