• टूटे बांध में ग्रामीणों ने किया श्रमदान, कुओं में आया पानी

    भोपाल ! ‘सबको दाना सबको पानी, भूख प्यास से जुडी जुवानी’, अभियान के तहत श्योपुर के जिले के सूखाग्रस्त आदिवासी अंचल में भूख प्यास से राहत दिलाने के लिए एकता परिषद् ने अन्य सहयोगी संगठनों की मदद से जहां एक तरफ प्रत्येक पीडि़त गांव में पीने का पानी उपलब्ध कराने का काम युद्ध स्तर पर शुरू किया है...

     रूबी सरकार


    भोपाल !   ‘सबको दाना सबको पानी, भूख प्यास से जुडी जुवानी’, अभियान के तहत श्योपुर के जिले के सूखाग्रस्त आदिवासी अंचल में भूख प्यास से राहत दिलाने के लिए एकता परिषद् ने अन्य सहयोगी संगठनों की मदद से  जहां एक तरफ  प्रत्येक पीडि़त गांव में पीने का पानी उपलब्ध कराने का काम युद्ध स्तर पर शुरू किया है, वहीं दूसरी तरफ  टूटी हुई जल सरंचनाओं को श्रमदान एवं काम के बदले अनाज अभियान के तहत ठीक किया जा रहा है, ताकि बारिश में जल संग्रहण कर सूखे हुए हैण्डपम्प एवं कुओं को सक्रीय किया जा सके। श्योपुर जिले के सावडी गांव पहले भयंकर सूखे की चपेट में था, सभी हैण्डपम्प बंद हो गए थे, पीने के लिए पानी 3- 4 किलोमीटर दूर  से लाना पड़ता था। इस गांव  के  लोगों ने एकता परिषद् के साथ यह तय किया, कि भविष्य में पानी की समस्या से निजात पाने के लिए गांव में वर्षों से टूटे पड़े तालब को जनभागीदारी से ठीक करेंगे। यह वह समय था जब मई माह के प्रारंभ में ही कुएं एवं  हैण्डपम्प सूख चुके थे, कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं था।   मई माह के मध्य में गांव के 80 लोगों ने काम शुरू किया, धीरे धीरे संख्या बढ़ कर 150 तक हो गई। इस तरह जनभागीदारी से टूटा हुआ बांध लोगों ने जोड़ दिया, जिसके लिए एकता परिषद् ने 40 कुंटल गेहूं उपलब्ध कराया, जो सभी परिवारों के लिए दो-दो महीनों के लिए पर्याप्त होगा। जून के दूसरे सप्ताह में जैसे ही बरिश आई कुएं रिचार्ज हो गया। अभी कुएं में 10-12 फु ट  पानी है, जिससे  किसी को अब पानी की तलाश में इधर उधर नहीं भटकना पड़ रहा है। एकता परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार ने बताया, कि श्योपुर जिलें में 56 तालाब टूटे पड़े हैं। अगर ये सभी तालाब जुड़ जाते, तो पूरे जंगल क्षेत्र में कभी पानी की समस्या नहीं होती। एकता परिषद् ने एक मुहीम चलाकर सावडी गांव के अलावा अधवाडा, कपूरिया, रामपुरा डांग, गांधी धाम में अधूरे पड़े तालाबों को जनभागीदारी से पूरा करवा  कर जल संरक्षण की एक मिशाल पेश की है इस श्रम अभियान में लोगों को प्राण देने के एकता परिषद् के संस्थापक राजगोपाल, राष्ट्रीय संयोजक रमेश भाई, रामदत्त, सिंह,जय सिंह भाई, मोहन सिंह, सबनम अफ गानी, नीरज श्रीवास्तव, ज्योति रजक, ज्योति सोलंकी, दौलत राम के साथ गांव की आदिवासी महिलाओं का विशेष योगदान रहा।

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