प्रदेश से कुपोषण के कुचक्र को तोडऩे के लिए सरकार एक और गंभीर व सकारात्मक पहल करने जा रही है। इस योजना को महतारी जतन योजना का नाम दिया गया है। शुरुआत लोक सुराज अभियान के प्रथम सप्ताह में की जानी है। योजना का मुख्य लक्ष्य गर्भवती महिलाओं एवं गर्भस्थ शिशु को कुपोषण से बचाना है। दरअसल यह योजना सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए चलाई जा रही रेडी टू ईट योजना की पूरक है। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन एक समय का पौष्टिक गर्म भोजन भी दिया जाएगा। अपनी इस पहल को लेकर खुद प्रदेश के मुखिया बेहद गंभीर हैं और इसके सफल संचालन के लिए उन्होंने आला अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए हैं। प्रदेश को कुपोषण मुक्त करने के लिए सरकार लगातार प्रयासरत है। लिहाजा इसके पूर्व भी वह कई योजनाएं चला चुकी है और चला रही है। बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने के लिए मध्यान्ह भोजन और अन्य सहयोगी योजनाएं समानांतर चल रही हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के जरिए प्रत्येक सप्ताह टेक होम राशन पद्धति से पोषण आहार वितरित किया जाता है। साथ ही इन महिलाओं को उनके स्वयं के आहार के बारे में जानकारी भी दी जाती है। कुपोषण की रोकथाम के लिए 2012 से नवा जतन योजना भी संचालित हो रही है। इन योजनाओं के कारण ही आज राज्य में कुपोषण दर में पिछले दस सालों में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। आज प्रदेश में कुपोषण की दर करीब 32 फीसदी है, जबकि 2005-06 में यह 47 फीसदी थी। लेकिन अन्य योजनाओं के संचालन को देखते हुए इस योजना की सफलता पर भी सवाल खड़े होते हैं। सवाल यह है कि जिस योजना की शुरुआत सरकार पूरे उत्साह और अच्छे संकल्प से करने जा रही है वह सरकारी मशीनरी के आधे-अधूरे इच्छाशक्ति से सफलता के पायदान चढ़ सकेगी? ये सवाल ऐसे ही नहीं उठ रहे हैं। उदाहरण के लिए मध्यान्ह भोजन की अव्यवस्था को देखा जा सकता है। प्रदेश के तमाम स्थानों पर मैन्यू के हिसाब से बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। जहां तक इस भोजन के पौष्टिकता की बात है तो वह मानक पर खरा नहीं उतरती है। भोजन बनाने में साफ सफाई तक का ध्यान तक नहीं रखा जाता। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को एक वक्त पौष्टिक और गर्म भोजन उपलब्ध कराना सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती होगी। सच तो यह है कि सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना सफल हो इसके लिए उसे इस पर नजर रखने के लिए एक समानांतर मानीटरिंग सिस्टम भी बनाना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि गर्भवती महिलाओं को शासन द्वारा निर्धारित मानकों के मुताबिक पौष्टिक आहार उपलब्ध हो। अन्यथा सरकार की मंशा पर पानी फिरते देर नहीं लगेगी। तमाम सवालों के बावजूद इस योजना के जरिए कुपोषण से गर्भवती महिलाओं की संभावित मुक्ति की उम्मीद तो की ही जा सकती है।