प्रदेश में लोक सुराज अभियान का आगाज हो गया है। खुद मुख्यमंत्री इस पर नजर बनाए हुए हैं। जनप्रतिनिधि व अधिकारी गांव-गांव जाकर विभिन्न सरकारी योजनाओं की न केवल जमीनी हकीकत जानने की कोशिश करेंगे बल्कि इसके अमल में आ रही बाधाओं को भी दूर करेंगे। शिविर व चौपाल लगाकर लोगों से संवाद स्थापित करने का बंदोबस्त हो चुका है। अभियान 24 मई तक चलेगा। चूंकि प्रदेश सूखे की चपेट में है और गांव से शहर तक पेयजल का संकट गहरा चुका है लिहाजा इस बार जल संरक्षण और संवर्धन, अभियान के एजेंडे में सबसे ऊपर है। जनभागीदारी के माध्यम से तालाबों के गहरीकरण और चौड़ीकरण की सुध सरकार को आ गई है। जल संरक्षण के लिए शहरी क्षेत्रों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य करने पर विचार हो रहा है। बढ़ते जल प्रदूषण को रोकने के लिए आने वाले दिनों में एक कार्ययोजना बनाने की योजना है ताकि बिना ट्रीटमेंट गंदा पानी प्राकृतिक जलस्रोतों में न पहुंचे। पानी की खपत को रोकने के लिए किसानों से धान की खेती गर्मी में न करने की अपील भी की जाएगी। इसके अलावा स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसान बीमा राशि व खाद-बीज का वितरण आदि पर भी फोकस होगा। अभियान को आकर्षक बनाने के लिए कई योजना रथ रवाना किए जा चुके हैं। चित्रों के माध्यम से लोगों को जानकारी देने की तैयारी हो चुकी है। इस सबके बीच बस एक चीज शेष रह गई है। वह यह कि इस प्रक्रिया के क्रियान्वयन को सतत कैसे चलाया जाए ताकि लोक सुराज अभियान की सफलता असंदिग्ध हो सके। करीब एक महीने का यह अभियान अपने पीछे कई सवाल छोड़ता है। हकीकत यह है कि अभियान के दौरान जनता समस्याएं बताती है और अधिकारी गण उनके निस्तारण का निर्देश देते हैं। लेकिन बाद में उन निर्देशों और आदेशों का क्या होता है, इसका सवाल शायद उन किसानों से नहीं पूछा जाता, जिनकी समस्याओं के निस्तारण का दावा किया जाता है। लिहाजा समस्याएं साल-दर-साल जस की तस खड़ी रहती है साल-दर-साल चलने वाले अभियानों की तरह। यह दीगर है कि इस दौरान कुछ छोटी-मोटी शिकायतों का निस्तारण हो जाता है। इसके अलावा यहां उसी जागरूकता अभियान का असर दिखता है, जिसके साथ कोई आर्थिक कारक नहीं जुड़ा हो। मसलन, एक किसान जो धान की खेती से अपना जीविकोपार्जन करता है वह जरूरी पानी की खपत को कैसे रोक सकता है। वहां तो जल संवर्धन की जरूरत है और इसमें जनभागीदारी के साथ सरकार की मदद भी जरूरी है। सरकार को यह बात समझनी होगी कि यदि वह वास्तव में चाहती है कि प्रदेश में लोक सुराज आए तो वह केवल अभियान तक खुद को सीमित न रखे बल्कि इसके लिए उस तमाम अमले पर कड़ी मानीटरिंग की व्यवस्था बनाए ताकि आम आदमी को इसका फायदा मिल सके। उसकी समस्याएं कम हो। कुल मिलाकर आज अभियान के साथ उसके क्रियान्वयन की सबसे ज्यादा जरूरत है वरना आदेश-निर्देश से स्थितियां ऊपरी तौर पर भले ही अच्छी दिखे लेकिन अच्छी हो नहीं पाएंगी।