• नेपाल और भारत ने उर्जा बैंक पर चर्चा की

    काठमांडू | नेपाल और भारत ने एक उर्जा बैंक बनाने पर चर्चा की है, ताकि संकट के समय बिजली की कमी पूरी की जा सके।...

    नेपाल और भारत ने उर्जा बैंक पर चर्चा की

    काठमांडू | नेपाल और भारत ने एक उर्जा बैंक बनाने पर चर्चा की है, ताकि संकट के समय बिजली की कमी पूरी की जा सके। 'काठमांडू पोस्ट' की रपट के अनुसार, नेपाल ने शुक्रवार को भारत-नेपाल संयुक्त स्थाई समिति की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव रखा।संयुक्त स्थाई समिति जल संसाधनों, उर्जा और सिंचाई परियोजनाओं के लिए एक द्विपक्षीय व्यवस्था है।इस मुद्दे पर दोनों देशों ने पहले भी चर्चा की है, लेकिन नेपाल ने पहली बार इस आशय का एक औपचारिक प्रस्ताव रखा है।

    उर्जा बैंक के जरिए गर्मी के मौसम में नेपाल भारत को बिजली का निर्यात करेगा और जाड़े के दिनों में भारत से आयात करेगा। बिजली का उत्पादन घटने से उर्जा संकट उत्पन्न हो जाता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेपाल दौरे के दौरान 2014 में दोनों देशों के बीच उर्जा व्यापार समझौता हुआ था, जिससे उर्जा बैंक बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

    नेपाल विद्युत प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक मुकेश राज काफले ने आईएएनएस से कहा, "उर्जा बैंक की अवधारणा स्पष्ट है। जब हमारा उत्पादन घरेलू खपत से अधिक होगा तो हम भारत को उर्जा का निर्यात करेंगे और संकट के समय आयात करेंगे।"भारत इस विचार से सहमत था, लेकिन कानूनी जटिलताओं के कारण यह संभव नहीं हुआ था।


    काफले के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने कहा, "प्रस्ताव अच्छा है, लेकिन हमें कई नियामक प्रावधानों से गुजरना है। हम इस पर काम शुरू करेंगे।"नेपाली अधिकारियों के अनुसार, इस विचार को स्वीकार करना भारत की इच्छा पर निर्भर करता है।नेपाली अधिकारियों ने 15 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाले गंडक पॉवरहाउस को फिर से चालू करने हेतु भारत से अनुरोध किया है।

    गंडक समझौता के तहत गंडक पॉवरहाउस का निर्माण किया गया है।नेपाली अधिकारियों ने भारत से बीरपुर में शीघ्र पॉवरहाउस बनाने का अनुरोध किया है।दोनों पक्षों ने सीमा पर सड़क निर्माण के मुद्दे पर भी चर्चा की।भारत ने सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा के मुद्दे को लेकर चिंता जताई, जिस पर नेपाल ने ध्यान देने का वादा किया। दोनों पक्षों ने चल रही सिंचाई परियोजनाओं की भी समीक्षा की।नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का भारत दौरा रद्द होने और भारत से नेपाली राजदूत दीप कुमार उपाध्याय को वापस बुलाने के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली आधिकारिक बैठक थी।

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