• भारत, चीन सीमा प्रबंधन सुधारें : प्रणब

    बीजिंग ! राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि उन्होंने चीनी नेतृत्व से आग्रह किया है कि दोनों देशों को सीमा प्रबंधन सुधारना चाहिए और सीमांत इलाकों में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए।...

    बीजिंग !  राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि उन्होंने चीनी नेतृत्व से आग्रह किया है कि दोनों देशों को सीमा प्रबंधन सुधारना चाहिए और सीमांत इलाकों में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करना चाहिए। मुखर्जी ने चार दिवसीय चीन यात्रा के समापन पर जारी एक बयान में कहा है कि इस तरह की धारणा है कि दोनों प्रमुख शक्तियों के बीच अपेक्षाकृत अधिक रणनीतिक संपर्क स्थापित होना चाहिए। मुखर्जी ने कहा, "चीनी नेतृत्व ने अपने इस संकल्प से अवगत कराया कि वह जल्द ही किसी तिथि को सीमा मुद्दे का एक निष्पक्ष, उचित और आपस में स्वीकार्य समाधान चाहता है। मैं चीनी नेतृत्व के साथ इस बात से सहमत हूं कि जहां हमें सीमा मुद्दे के जल्द समाधान के लिए लगातार आदान-प्रदान करते रहना चाहिए, वहीं हमें सीमा प्रबंधन को सुधारना चाहिए और सीमांत इलाकों में शांति एवं सौहाद्र्र बनाए रखना चाहिए।" राष्ट्रपति 24 मई से 27 मई तक चार दिन के चीन दौरे पर थे। उन्होंने कहा कि एक ऐसे अनिश्चित वैश्विक हालात में भारत और चीन को मिलकर काम करना चाहिए, जब आर्थिक सुधार कमजोर है, भू-राजनीतिक जोखिम बढ़ रहे हैं और आतंकवाद की समस्या पूरी दुनिया के लिए एक खतरा साबित हो रही है। उन्होंने कहा, "हम इस बात से सहमत हैं कि वार्ताकार के रूप में हमारे लिए यह स्वाभाविक है कि समय-समय पर हमारे बीच मतभेद होंगे। लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि दोनों देश मतभेदों को दूर करते हुए लगातार अपने संबंध सुधारते रहें।" मुखर्जी ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार में संतुलन के लिए चीन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में उन्हें जानकारी दी गई। उन्होंने कहा, "मैंने कहा कि जहां एक ओर असंतुलन दूर करना महत्वपूर्ण है, वहीं हमें द्विपक्षीय व्यापार को लगातार बढ़ाते रहना भी चाहिए।" राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन आज के समय में वैश्विक आर्थिक विकास के इंजन हैं और कारोबारी क्षेत्र को दोनों देशों में उपलब्ध अपार अवसरों का लाभ उठाना चाहिए। मुखर्जी ने आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने चीनी नेताओं से कहा कि आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया में चिंता बढ़ रही है और अच्छा और बुरा आतंकवादी जैसी कोई चीज नहीं है। गौरतलब है कि चीन ने पिछले महीने भारत के उस प्रयास को बाधित कर दिया था, जिसके तहत उसने जैस-ए-मोहम्मद प्रमुख और पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र में आतंकवादी घोषित करवाने की कोशिश की थी। भारत ने चीन के इस कदम पर नाराजगी जाहिर की थी। मुखर्जी ने चीनी नेताओं के साथ बातचीत को फलदायी और उत्पादक बताया। उन्होंने कहा कि गोवा में अक्टूबर में प्रस्तावित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और सितंबर में हांगझोऊ में प्रस्तावित जी-20 शिखर सम्मेलन द्विपक्षीय संवाद को जारी रखने के मौके मुहैया कराएंगे।


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