वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के समय भारत और चीन एकता और विकास को बनाए रखने में कामयाब रहे हैं : प्रणब मुखर्जी
बीजिंग ! राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी चार दिवसीय चीन दौरे पर हैं। उन्होंने गुरुवार को कहा कि विकास से जुड़ी करीबी साझीदारी के लिए भारत और चीन के बीच राजनीतिक तालमेल अत्यंत महत्पूर्ण है।
मुखर्जी ने कहा कि यह सब सभी स्तरों पर नजदीकी संपर्को से प्राप्त किया जा सकता है। दोनों देशों की जनता को आपसी हितों के लिए सहयोग को और मजबूत बनाने की जरूरत है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पीकिंग विश्वविद्यालय में व्याख्यान दे रहे थे। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के समय में भारत और चीन एकता और विकास को बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।
मुखर्जी ने कहा, "विश्व अर्थव्यवस्था के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए दोनों देशों के संयुक्त योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। भारत और चीन शीर्ष वैश्विक शक्तियों की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, "यह दोनों देशों पर निर्भर करता है कि वे क्षेत्रीय और वैश्विक समृद्धि को पोषित करने पर बराबर ध्यान केंद्रित हुए उभरती हुई आर्थिक ताकत भी बने रहें।"
राष्ट्रपति ने कहा, " 'एशियाई सदी' में सकारात्मक ऊर्जा और पुनरुत्थान के सृजन के लिए आपस में हाथ मिलाने के लिए दोनों देश उपलब्ध अवसर की दहलीज पर हैं। यह काम आसान नहीं होगा। सभी बाधाओं को धैर्य के साथ हल करने की जरूरत है। दोनों देशों को अपने-अपने सपने साकार करने के लिए मजबूत रहना चाहिए। उन्हें स्थिर दोस्ती के लिए हाथ मिलाने चाहिए।"
भारत-चीन संबंधों के प्रयासों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और चीन युवा समाज हैं। हमारे युवाओं की साझा महत्वकांक्षाएं और धारणाएं हैं। युवाओं का वार्षिक आदान-प्रदान बहुत लाभदायक रहा है लेकिन दोनों पक्षों को उनकी संभावनाओं में तालमेल बैठाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में संयुक्त फिल्म उत्पादन हमारी जनता में सकारात्मक भावनाओं का निर्माण करने में लाभदायक औजार बन सकता है। उच्च शिक्षा के संस्थानों में अधिक आदान-प्रदान, अधिक सांस्कृतिक उत्सवों, संयुक्त अनुसंधान और छात्रवृत्ति कार्यक्रमों से इस धारणा को दूर करने में मदद मिल सकती है कि हमें पश्चिम देशों की ओर देखने की जरूरत पड़ती है बल्कि हमें शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति करने के लिए एक-दूसरे की ओर देखने की जरूरत है। दोनों देशों के मध्य यात्रा भी एक बहुत महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत के लोग चीन में अपने पवित्र स्थलों की यात्रा के अवसर प्राप्त करना चाहेंगे तो इसके बदले भारत में बौद्ध धार्मिक स्थलों के लिए चीन के लोगों की यात्राओं का भी स्वागत करेंगे। सतत समाधानों और अनुभवों को साझा करके दोनों देशों के नागरिक समाज, संबंधित मानदंडों का सम्मान करते हुए सहयोग कर सकते हैं। हमारी समानताओं को और मजबूत करने के लिए व्यापार और वाणिज्य सबसे शक्तिशाली एजेंट हो सकते हैं। उन्होंने व्यापार के नये मॉडलों का सृजन करने के लिए संयुक्त नवाचार हेतु भारत-चीन के उद्यमियों का आह्वान किया।