• राज्यों को निर्भया निधि सौंपने का मानदंड बताए केंद्र

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से वह तरीका बताने को कहा जिसके जरिए महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण के लिए दी जाने वाली निर्भया निधि राज्यों को दी जा सके। अदालत ने कहा कि नहीं तो यह योजना महज दिखावटी सहानुभूति बनकर रह जाएगी।...

    नई दिल्ली !   सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केंद्र सरकार से वह तरीका बताने को कहा जिसके जरिए महिला सुरक्षा एवं सशक्तीकरण के लिए दी जाने वाली निर्भया निधि राज्यों को दी जा सके। अदालत ने कहा कि नहीं तो यह योजना महज दिखावटी सहानुभूति बनकर रह जाएगी। न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी. पंत एवं डी. वाई. चंद्रचूड़ की अवकाश पीठ ने पूछा, "आप राज्यों को निर्भया निधि किस तरह से सौंपने पर विचार कर रहे हैं। वह कौन सा तरीका होगा जिसके जरिए यह निधि राज्यों को सौंपी जाएगी अन्यथा यह महज दिखावटी सहानुभूति बनकर रह जाएगी।" अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) इंदिरा जयसिंह ने अलग-अलग राज्यों द्वारा तैयार आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 357 के तहत पीड़िताओं को मुआवजा देने की योजना (वीसीएस) में एकरूपता के अभाव की ओर पीठ का ध्यान दिलाया। पीठ ने इंदिरा जयसिंह द्वारा उठाए गए कई मुद्दों पर केंद्र एवं राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया। इनमें दुष्कर्म पीड़िताओं को मुआवजा, इसके लिए वित्तीय प्रावधान, ऐसे मामलों की संख्या जिनमें मुआवजा दिया गया, गवाह संरक्षा कार्यक्रम, दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए वन स्टेप क्राइसिस सेंटर (ओएससीसी), अखिल भारतीय पर्यटन परमिट के तहत चलने वाले वाहनों की संख्या और रेडियो टैक्सी संचालनों के नियम शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय के इस नोटिस का जवाब छह हफ्तों में देना है। विभिन्न राज्यों ने पीड़िता मुआवजा योजना (वीसीएस) तैयार की है। इन योजनाओं में बहुत ज्यादा अंतर देखते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वीसीएस का एक राष्ट्रीय मॉडल हो सकता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश की योजना का उल्लेख किया जिसमें भीषण प्रावधान थे लेकिन राज्य के उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद बदलाव किया गया। उन्होंने कहा, "इसे राज्यों पर नहीं छोड़ना चाहिए कि वे अपना मॉडल रखें और जिनमें एक दूसरे से बहुत अधिक अंतर हो।" पीठ ने यह भी कहा कि वीसीएस किस तरह से दिया जाए इसका पूरा ब्यौरा सहित इसके लिए बजटीय प्रावधान भी होना चाहिए। जयसिंह को सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा एवं संरक्षा से जुड़ी याचिकाओं के समूह पर सुनवाई में सहायता के लिए पिछले साल मार्च में अदालत मित्र नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि धारा 357 ए में पीड़िताओं को हर तरह के अपराध के लिए मुआवजा का प्रावधान है लेकिन याचिका दायर करने वाले एक इसी के लिए समर्पित निधि एवं दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए वीसीएस चाहते हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि वीसीएस के तहत गोवा 10 लाख रुपये देता है जबकि कुछ राज्य मात्र 20 हजार देते हैं। जयसिंह ने कहा कि पूरे देश में पिछले चार साल में केवल आठ मामलों में ही मुआवजा दिया गया है।


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