• इंडोनेशिया में तंबाकू उत्पादन में जुटे हैं बाल श्रमिक

    जकार्ता | अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने बुधवार को कहा कि इंडोनेशिया में तंबाकू की खेती में बाल श्रमिक जुटे हैं।...

    इंडोनेशिया में तंबाकू उत्पादन में जुटे हैं बाल श्रमिक

    जकार्ता | अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था ह्यूमन राइट्स वाच (एचआरडब्ल्यू) ने बुधवार को कहा कि इंडोनेशिया में तंबाकू की खेती में बाल श्रमिक जुटे हैं, जिनके द्वारा उत्पादित तंबाकू की आपूर्ति स्थानीय से लेकर विदेशी तंबाकू कंपनियों को की जाती है। इन बच्चों में से कई केवल आठ साल की उम्र के हैं, जो निकोटिन के संपर्क में आते हैं और जहरीले रसायनों का इस्तेमाल करते हैं या फिर बेहद गर्म मौसम में खतरनाक उपकरणों का प्रयोग करते हैं। 

    समाचार एजेंसी एफे की रपट के मुताबिक, एचआरडब्ल्यू की रपट 'द हार्वेस्ट इन माई ब्लड : हैजार्डस चाइल्ड लैब इन टोबैको फार्मिंग इन इंडोनेशिया' में यह जानकारी दी गई है।एचआरडब्ल्यू के शोधकर्ता और रपट के सहलेखक माग्रेट वूर्थ ने एक बयान जारी कर कहा, "टोबैको कंपनियां इंडोनेशियाई बच्चों की पीठ पर सवार होकर और उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर पैसे बना रही है।" 


    वूर्थ और उनके दल ने 132 बच्चों का इंटरव्यू किया, जो इंडोनेशिया के चार प्रांतों में तंबाकू की खेती के काम में जुटे थे। उनमें से आधे ने निकोटीन के तीव्र विषाक्तता के लक्षण की सूचना दी, जो उनकी त्वचा में अवशोषित होकर उनके अंदर घुसा था।इसके अलावा ये बच्चे कीटनाशक व दूसरे हानिकारक रसायनों के संपर्क में भी आए थे, जो श्वसन संबंधी रोग, कैंसर और अवसाद से जुड़ी हैं। एचआरडब्ल्यू ने तंबाकू कंपनियों से गुजारिश की है कि वे बच्चों से काम कराने वाले आपूर्तिकर्ताओं को प्रतिबंधित करें। उसने इंडोनेशिया सरकार से तंबाकू उद्योग को विनियमित करने की मांग की है, साथ ही बच्चों को होनेवाले स्वास्थ्य संबंधी खतरों के बारे में जागरूकता फैलाने को कहा है। 

    अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, इंडोनेशिया दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है, जहां पांच लाख से ज्यादा तंबाकू के बागान हैं और 10 से 17 साल की उम्र के 15 लाख बच्चे इससे जुड़े हुए हैं। हालांकि इंडोनेशिया के कानून के मुताबिक, काम करने की न्यूनतम उम्र 15 साल है और 18 साल से कम उम्र वालों के लिए खतरनाक काम करने की मनाही है। लेकिन एचआरडब्ल्यू की रपट के मुताबिक तंबाकू कंपनियां इन कानूनों का उल्लंघन कर रही हैं।

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