• विश्व में करोड़ों बच्चे होते है हिंसा के शिकार

    यूनिसेफ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे भारी प्रयासों के बाद भी दुनियाभर में हर साल 50 करोड़ से डेढ़ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा का शिकार हो रहे हैं। ...

    नई दिल्ली !   यूनिसेफ के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे भारी प्रयासों के बाद भी दुनियाभर में हर साल 50 करोड़ से डेढ़ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा का शिकार हो रहे हैं।संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की दुनिया के बच्चों की स्थिति रिपोर्ट के विशेष संस्करण के अनुसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे भारी प्रयासों के बाद भी दुनियाभर में बच्चों के प्रति हिंसा की समस्या चौंकाने वाली है। हर साल 50 करोड़ से डेढ़ अरब बच्चे विभिन्न प्रकार की हिंसा के शिकार हो रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न प्रकार की हिंसा और अत्याचार के शिकार इन बच्चों को भविष्य में मानसिक और शारीरिक समस्याओं से जूझना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के हितों में अत्यधिक नुकसान पहुंचाने वाली प्रथाएं सामाजिक परंपराओं और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों का भाग होती हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी विधमान रहती हैं। अत: केवल कानून पारित कर देना ही काफी नहीं होता है। इनको सतत शैक्षिक एवं जागरूकता प्रयासों, क्षमता निर्माण, पर्याप्त संसाधनों, परस्पर सहयोग तथा बच्चों की भागीदारी का समर्थन होना चाहिए। यह विशेष रूप से तभी लागू होता है जब बच्चों को हिंसा, दुर्वयवहार और शोषण के बचाने की बात सामने आती है।रिपोर्ट के अनुसार हर देश एवं समुदाय ,सांस्कृतिक, सामाजिक अथवा आर्थिक समूह में बच्चे हिंसा,दुर्वयवहार,शोषण, उपेक्षा और भेदभाव के शिकार होते है। इस प्रकार के उल्लंघन बाल अधिकारों में रूकावट पैदा करते हैं।बाल अधिकार सम्मेलन के अनुच्छेद 19 में कहा गया है कि सभी सदस्य देशों के बच्चे की शारीरिक अथवा मानसिक हिंसा ,उपेक्षा, शोषण के साथ साथ यौन दुर्वयवहार से रक्षा के लिए उचित कानून, प्रशासनिक ,सामाजिक एवं शैक्षिक उपाय करने होंगे। भले ही बच्चे की देखभाल इस दौरान अभिभावकों अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की जा रही हो।इस प्रकार के सुरक्षाकारी उपाय हर प्रकार से उपयुक्त और बच्चे के लिए उपयोगी होने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि शारीरिक रूप से असमर्च बच्चे भेदभाव और अकेलेपन के शिकार होने के साथ साथ विशेष रूप से शारीरिक हिंसा एवं भावनात्मक तथा मौखिक दुर्वयवहार का शिकार होते हैं जिसके कारण बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति भी प्रभावित होती है।


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