• केंद्र ने रोका उत्तराखंड का पानी: सरकार

    नई दिल्ली । उत्तराखंड सरकार की ओर से आठ मई से पानी की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के बाद से राजधानी में एक बार फिर पानी पर राजनीति शुरू हो गई है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने जहां इस मामले में कार्यवाही के लिए जहां दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है,...

    नई दिल्ली । उत्तराखंड सरकार की ओर से आठ मई से पानी की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी के बाद से राजधानी में एक बार फिर पानी पर राजनीति शुरू हो गई है। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने जहां इस मामले में कार्यवाही के लिए जहां दिल्ली सरकार को पत्र लिखा है, तो वहीं पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली सरकार के जल मंत्री कपिल मिश्रा ने विजेंद्र गुप्ता के पत्र को दिल्लीवासियों में में दहशत पैदा करने की कोशिश व घटिया राजनीति करार दिया है। श्री मिश्रा ने कहा कि उत्तराखंड के बारे में नेता प्रतिपक्ष ने यह पत्र तब लिखा जब वहां से चुनी हुई सरकार को हटाकर राज्यपाल शासन के तहत उत्तराखंड भाजपा के  नियत्रंण में आ गया। उन्होंने बताया कि दिल्ली के सभी वाटर प्लांट पूरी क्षमता के साथ कार्य कर रहे हैं, ठीक उसी समय भाजपा शासित राज्यों के नाम से दिल्ली का पानी रोकने की साजिश कर लोगों में डर फैलाने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी तक हरियाणा व उत्तर प्रदेश दोनों राज्य सरकारों से दिल्ली को अच्छा सहयोग मिल रहा है व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशो के अनुसार पानी की आपूर्ति जारी हैं। उन्होंने भाजपा नेताओं के लिए सदï्बुद्घि की मंाग करते हुए कहा कि भगवान् ऐसे सभी लोगो को सद्बुद्धि दे जो अपनी तुच्छ राजनीति के लिए दिल्ली वालो के खिलाफ साजिश को तैयार है। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को पत्र लिखते हुए मांग की है कि वे दिल्ली की जनता को पानी की किल्लत से बचाने के लिए तुरंत पर्याप्त जल की व्यवस्था करें अन्यथा जनता त्राहि-त्राहि करने लगेगी। उन्होंने बताया किउत्तराखंड सरकार ने दिल्ली को टिहरी जलाशय से पानी देने से मना कर दिया है और आठ मई से सोनिया विहार जल शोधन संयंत्र पूरी तरह बंद हो जाएगा जिसका असर पूर्वी दिल्ली और दक्षिणी दिल्ली के इलाकों में पड़ेगा।         उन्होंने सरकार पर जानबूझकर जल संकट पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 23 अप्रैल को उन्हें उत्तराखंड सरकार के पानी पर रोक की सूचना मिल गई थी, जिसके बाद से ही नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से तुरंत कार्यवाही की मांग उठाई थी। जब गुरूवार को उत्तराखंड सरकार ने दिल्ली सरकार को लिखित रूप से अंतिम बार चेताया तो सरकार ने बयान जारी किया कि दिल्ली के लिए पानी के प्रबंध किये जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पूर्ण राज्य के दर्जे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दावे के बाद दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कियदि वास्तव में मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाना चाहते हैं, तो वह अपनी जानी पहचानी नाटकीय शैली को त्याग कर संवैधानिक बिल को पारित करवाने की प्रक्रिया अपनाएं। अरविंद केजरीवाल वास्तव में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलवाने में नहीं बल्कि अपना प्रचार और नौटंकी करने में विश्वास रखते हैं। मुख्यमंत्री संवैधानिक प्रक्रिया का पालन नहीं कर रहे हैं और इसके बावजूद भी वह केन्द्र से दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने में सहयोग की अपेक्षा करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सीमाएं लाघनें का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमले में प्रयोग भाषा उनके निजी संस्कारों को दर्शाती है।


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