• बोफोर्स जैसा हाल नहीं होने देंगे अगस्ता का, दोषियों को दंडित करके रहेंगे

    नई दिल्ली ! रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को लोकसभा में इस बात का आश्वासन दिया कि अगस्तावेस्टलैंड रिश्वतखोरी मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा। कांग्रेस की हेलीकॉप्टर घोटाले की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग को केंद्र सरकार द्वारा खारिज करने के बाद सोनिया व राहुल गांधी सहित विपक्षी पार्टी के सांसदों ने सदन से बहिर्गमन किया।...

    नई दिल्ली !   रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने शुक्रवार को लोकसभा में इस बात का आश्वासन दिया कि अगस्तावेस्टलैंड रिश्वतखोरी मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाया जाएगा और दोषियों को दंडित किया जाएगा। कांग्रेस की हेलीकॉप्टर घोटाले की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग को केंद्र सरकार द्वारा खारिज करने के बाद सोनिया व राहुल गांधी सहित विपक्षी पार्टी के सांसदों ने सदन से बहिर्गमन किया।

    पर्रिकर ने कहा, "मैं आप सब को आश्वस्त कर सकता हूं कि हम नाकाम नहीं होंगे। हम जो बोफोर्स कांड में नहीं कर सके, वह अगस्ता वेस्टलैंड मामले में करेंगे।"

    नियम 197 के तहत ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों अनुराग ठाकुर व निशिकांत दूबे, सौगत रॉय (तृणमूल कांग्रेस) व ज्योतिरादित्य सिंधिया (कांग्रेस) द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में पर्रिकर की यह प्रतिक्रिया सामने आई है।

    बोफोर्स कांड तब हुआ, जब स्वीडन की बोफोर्स एबी कंपनी पर 155 मिलीमीटर के होवित्जर तोपों का ठेका पाने के लिए रिश्वत देने का आरोप लगा। इस विवाद के कारण सन् 1989 में राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार को लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था।

    पर्रिकर ने कहा कि तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के.एंटनी ने सौदे पर 12 मई, 2014 को रोक लगा दी, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव खत्म हुआ था और एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, केंद्र में भाजपा की सरकार बनती दिख रही थी।

    मंत्री ने कहा, "हेलीकॉप्टर के फील्ड ट्रायल का एंटनी ने विरोध किया था, लेकिन बाद में उन्हें अपना रुख बदलने के लिए समझा लिया गया।"

    रक्षा मंत्री ने कहा, "एक खास कंपनी को कुछ छूट दी गई। यह छूट अन्य कंपनियों को नहीं मिली। यह दर्शाता है कि वे उस कंपनी के साथ सौदे के पक्ष में थे।"

    पर्रिकर ने कहा कि जब केंद्र में अटल बिहारी नेतृत्व वाली सरकार थी, तब सरकार ने वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को मौका देने के लिए सर्विसेज क्वालिटेटिव प्रॉसेस को विस्तृत किया था, लेकिन उसके बाद की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने अगस्तावेस्टलैंड को फायदा पहुंचाने के लिए इसे संकीर्ण कर दिया।

    विपक्षी सदस्यों की आपत्ति के बीच मंत्री ने कहा, "सीबीआई मेरे अंदर नहीं हो सकती, लेकिन मैं मामले की प्रगति पर निगरानी रख रहा हूं।"

    कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए पर्रिकर ने एंटनी के प्रति सद्भाव जताते हुए उन्हें 'बेचारा' करार दिया।

    पर्रिकर ने कहा, "बेचारे एंटनी साहब के हाथ बंधे थे।" उन्होंने कहा कि इस मामले में इटली में साल 2012 में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई थी।


    रक्षा मंत्री ने कहा, "..क्योंकि एंटनी अपनी छवि बचाए रखना चाहते थे। दो से तीन घंटे के भीतर उन्होंने फाइल को आगे बढ़वाया, दस्तावेजों को मंजूरी दी और सीबीआई जांच का आदेश दे दिया।"

    मंत्री ने हालांकि कहा कि सीबीआई ने जनवरी 2014 तक मामले में कुछ नहीं किया।

    चर्चा के दौरान दोनों तरफ से हास्य व व्यंग्य का दौर चलता रहा।

    लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की मामले की सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी तथा खड़गे ने सदन से बहिर्गमन किया।

    पर्रिकर ने कहा कि टेंडर इटली की अगस्तावेस्टलैंड कंपनी ने भरा था, लेकिन ठेका ब्रिटेन की अगस्तावेस्टलैंड इंटरनेशनल को मिला।

    उन्होंने कहा, "इसने मुझे चौंका दिया। मैंने ऐसा कभी नहीं देखा कि टेंडर एक कंपनी भरे और ठेका दूसरी कंपनी को मिले।"

    रक्षा मंत्री ने कहा कि 3,600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर घोटाले में वायु सेना के पूर्व अधिकारी एन.वी.त्यागी तथा वकील गौतम खेतान तो बस प्यादे हैं।

    मंत्री ने सदन के पटल पर एक दस्तावेज भी रखा, जिसमें नौ मई, 2005 को हेलीकॉप्टर की केबिन की ऊंचाई को 1.8 मीटर रखने की मंजूरी दी गई।

    उन्होंने एक कार्यालय में महत्वपूर्ण फाइलों में आग लगने की घटना का भी संदर्भ दिया।

    पर्रिकर ने कहा, "कार्यालय में बेहद रहस्यमय ढंग से आग लगी, जिसमें कई फाइलें जलकर खाक हो गईं। लेकिन तीन फाइलें सुरक्षित बच गईं, क्योंकि एक अधिकारी ने उसे लॉकर में रख दिया था। मैं अब सीबीआई से आग लगने की घटना का पता लगाने के लिए कहूंगा, क्योंकि यह कई सवाल उठाता है।"

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