एनपीए में इस्पात उद्योग की प्रमुख हिस्सेदारी : जेटली
नई दिल्ली ! केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक सुस्ती के बाद भी देश की आर्थिक स्थिति दुनिया में सबसे अच्छी है और यह और अच्छा कर सकती है। जेटली ने लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा के जवाब में कहा कि विश्व की तुलना में हम सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में वर्तमान आर्थिक प्रदर्शन से काफी बेहतर करने की संभावना है। मंत्री ने कहा कि वैश्विक सुस्ती के दौरान बैंकों पर भी नकारात्मक असर पड़ता है और बुरे ऋण तथा गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) से स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। उन्होंने कहा कि हम आरोप-प्रत्यारोप में नहीं फंसना चाहते हैं, लेकिन एनपीए को छुपाने से भी इसका समाधान नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि एनपीए कम करने के लिए सरकार कदम उठा रही है। वित्त विधेयक पर बुधवार को उठाए गए सवाल का उल्लेख करते हुए मंत्री ने कहा कि देश की कंपनियों को मदद करने के लिए और कंपनी करों को तर्कसंगत बनाने के लिए हमेशा कदम उठाए जा रहे हैं। सरकारी कदमों के लोक हितैषी योजनाओं के विरुद्ध होने के आरोप के जवाब में जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा प्रस्तुत तीनों बजटों में हमने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि करदाताओं के हाथ में अधिक से अधिक पैसा रहे। बैंकों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में इस्पात उद्योग की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। यह बात गुरुवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में कही। जेटली ने कहा कि एनपीए में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इस्पात उद्योग की है। यदि हमारी कंपनियां अपने इस्पात नहीं बेच पाएंगी, तो स्वाभाविक है कि वे बैंकों के ऋण और उस पर लगने वाले ब्याज का भुगतान नहीं कर पाएंगी। उन्होंने कहा कि चीन के इस्पात की भारत में डंपिंग के कारण भारतीय इस्पात उद्योग में सुस्ती आई है और इसके कारण बैंकों का खाता भी प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौती के कारण जब कुछ उद्योग में सुस्ती रहती है, तो सिर्फ उन उद्योगों में ही सुस्ती नहीं रहतीए बल्कि इससे बैंकों का बायलेंस शीट भी प्रभावित होता है। इसे दोहरी बायलेंस शीट समस्या कहते हैं। मंत्री ने कहा कि कुछ बुरे हो चुके ऋण संभव है कि गलत आधार पर दिए गए होंए ऐसे मामलों की जांच होगी। उन्होंने कहा कि एनपीए का मुद्दा तभी सुलझ सकता है, जब बुरे ऋण को सही तरीके से बायलेंस शीट में दिखाया जाए और छुपाया नहीं जाए। केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने मंगलवार को संसद में कहा था कि सरकारी बैंकों के सबसे बड़े 50 डिफाउल्टरों पर 1.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक बकाया है। जेटली ने कहा कि हम ऐसे कानून बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे बैंक बढ़ते एनपीए से निपट सकें। दिवालिया विधेयक संसद में पेश किया जा चुका है।