• सिंहस्थ कुंभ : आंधी में पंडाल गिरे, 7 की मौत, 40 घायल

    उज्जैन ! मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान गुरुवार को तेज आंधी के बीच हुई तेज बारिश से तमाम व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए कई पंडाल गिर गए। इस हादसे में छह श्रद्धालुओं मौत हो गई और कम से कम 40 श्रद्घालु घायलहो गए। उधर मेला क्षेत्र में पानी भर गया है।...

    उज्जैन !   मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान गुरुवार को तेज आंधी के बीच हुई तेज बारिश से तमाम व्यवस्थाओं की पोल खोलते हुए कई पंडाल गिर गए। इस हादसे में छह श्रद्धालुओं मौत हो गई और कम से कम 40 श्रद्घालु घायलहो गए। उधर मेला क्षेत्र में पानी भर गया है। पुलिस महानिरीक्षक वी. मधुकुमार ने कहा कि हादसे में सात लोगों की मौत हुई है।

    पुलिस ने कहा कि गुरुवार को पंचकोशी परिक्रमा कर रहे श्रद्धालु दोपहर के समय मंगलनाथ क्षेत्र के पंडाल में आराम कर रहे थे, तभी तेज आंधी चली और तेज बारिश के कारण एक साथ कई पंडाल गिर गए। इन पंडालों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु थे, जो दब गए।

    मौके पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि कुल छह लोगों की मौत हो गई, इनमें से पांच की मौत पंडाल में दबने और भगदड़ मचने से हुई है, वहीं एक महिला की बिजली गिरने से मौत हुई है। हादसे में कम से कम 40 लोग घायल हो गए।

    वहीं जिले के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह सिर्फ एक महिला की बिजली गिरने से मौत बता रहे हैं। चार लोगों के गंभीर होने की बात को भी उन्होंने स्वीकार किया है। प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधि लगातार इस बात की कोशिश कर रहे हैं कि मौतों का सही-सही आंकड़ा सामने न आ पाए। यही कारण है कि कोई भी अफसर मौतों का ब्योरा देने को तैयार नहीं है।


    घटनास्थल पर मौजूद पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पंडाल के नीचे दो वाहन दबे हुए हैं। घायलों को उपचार के लिए अस्पताल भेजा गया है। राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है।

    आंधी और बारिश के बाद हर तरफ अव्यवस्थाएं बिखरी पड़ी हैं। आम श्रद्धालु से लेकर साधु-संतों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने उज्जैन के लोगों से बाहर से आए श्रद्धालुओं की मदद की अपील की है।

    आंधी और भारी बारिश ने सरकार के उन सारे दावों की पोल खोलकर रख दी है जो लगातार दो माह से किए जा रहे थे। आलम यह है कि पंडाल से लेकर स्वागत द्वार तक हर तरफ गंदा पानी बह रहा है। यहां तक कि सीवर लाइन का गंदा पानी सीधे क्षिप्रा नदी में जाकर मिल रही है, जहां लोग पुण्य लाभ के लिए स्नान कर रहे हैं।

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