• सीमा के पास किसानों को खेती करने में परेशानी

    अमृतसर | सीमावर्ती गांवों के किसान हमेशा ही मुसीबतें झेलते आए हैं लेकिन सीमा सुरक्षा बल का सहयोग नही मिलने के कारण भारतीय सीमा के अंदर लगी पर लगी कंटीली बाड़ के उस पार खेती करना किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना गया है। सुरक्षा की दृष्टि से सीमा पर कंटीली बाड़ लगाने से आस पास के गांवों की लगभग 2500 एकड़ जमीन बाड़ के उस पार रह गई है जहां खेती करने के लिए किसानों को सीमा सुरक्षा बल पर निर्भर रहते हैं।सीमावर्ती गांव कक्क्ड़ के मुखिया शिवराज सिंह ने बताया कि बीएसएफ किसानों के सहयोग नहीं कर रही है जिससे किसानो को काफी नुकसान हाे रहा है।...

    सीमा के पास किसानों को खेती करने में परेशानी

    अमृतसर |  सीमावर्ती गांवों के किसान हमेशा ही मुसीबतें झेलते आए हैं लेकिन सीमा सुरक्षा बल का सहयोग नही मिलने के कारण भारतीय सीमा के अंदर लगी पर लगी कंटीली बाड़ के उस पार खेती करना किसानों के लिए मुसीबत का सबब बना गया है। सुरक्षा की दृष्टि से सीमा पर कंटीली बाड़ लगाने से आस पास के गांवों की लगभग 2500 एकड़ जमीन बाड़ के उस पार रह गई है जहां खेती करने के लिए किसानों को सीमा सुरक्षा बल पर निर्भर रहते हैं।सीमावर्ती गांव कक्क्ड़ के मुखिया शिवराज सिंह ने बताया कि बीएसएफ किसानों के सहयोग नहीं कर रही है जिससे किसानो को काफी नुकसान हाे रहा है।

    खेत तीनों तरफ से कंटीली बाड़ से घिरे हुए हैं

    उन्होंने बताया कि कंटीली बाड़ के उसपार जाने का समय सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक निर्धारित किया गया है लेकिन बीएसएफ के अधिकारी अपनी इच्छा अनुसार ही उधर जाने की अनुमति सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक ही देते हैं।किसान रूलदा सिंह ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय बाड़ के पार जमीन के लिए 1997 से 2000 तक 2500 रूपए प्रति एकड़ मुआवजा देती रही है लेकिन साल 2000 के बाद इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया।बीएसएफ द्वारा तीन फुट से ज्यादा ऊंची फसल पर प्रतिबंध लगा होने के कारण यहां केवल गेहूं और धान की ही खेती की जाती है।नौशहरा के किसान मुख्तियार सिंह ने बताया कि उसकेे खेत तीनों तरफ से कंटीली बाड़ से घिरे हुए हैं।बीएसएफ द्वारा बरीकी से जांच करने में काफी समय बर्वाद हो जाता है जिसके कारण वह दो तीन घंटे ही खेतों में काम कर पाते हैं।

    खेती अब लाभदायक धंधा नही रहा 


    उन्होने बताया कि कई बार तो पाकिस्तान की ओर से राकेट दागे जाते हैं जिस कारण फसल का कार्य बीच में ही छोड़ कर वापस आना पड़ता है।गांव राजी, कस्सोवाल अौर सारण की लगभग दस हजार एकड़ जमीन रावी दरिया और कंटीली बाड़ के बीच में है।किसानों ने बताया कि बाड़ के पार खेती अब लाभदायक धंधा नही रहा है।न तो काई उनकी जमीन खरीदता है तथा न ही ठेके पर लेने को तैयार है।शिवराज सिंह ने बताया कि उन्होने बीएसएफ मुख्यालय के कमांडर को अपनी मुश्किलों और बीएसएफ के रवैये के संबंध में पत्र लिख कर बताया है जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।उन्होने मांग की है कि सरकार उनकी समस्याओं का कोई स्थाई हल निकाले।  

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