• मुआवजे के इंतज़ार में किसान,सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी नहीं दिया पैसा

    इंदौर ! औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के एक हजार से ज्यादा किसान बीते नौ सालों से अपनी सवा चार हजार एकड़ जमीन का करीब डेढ़ हजार करोड़ के मुआवजे के लिए परेशान हो रहे हैं। आठ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदेश की सरकार को किसानों को जल्दी मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए हैं।...

    इंदौर !   औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर के एक हजार से ज्यादा किसान बीते नौ सालों से अपनी सवा चार हजार एकड़ जमीन का करीब डेढ़ हजार करोड़ के मुआवजे के लिए परेशान हो रहे हैं। आठ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने भी प्रदेश की सरकार को किसानों को जल्दी मुआवजा दिए जाने के आदेश दिए हैं। इसके बाद प्रभावित किसानों ने सरकार को 30 अप्रैल तक मुआवजा वितरित करने का समय दिया था, उसके बीतने के बाद भी अब तक राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है। किसानों के पास उनकी खेती ही आमदनी का जरिया हुआ करती थी लेकिन नौ सालों से जमीनें ले ली जाने से अब उनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है। लिहाजा अब उनके पास आन्दोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। दरअसल इंदौर के पास औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में ऑटो टेस्टिंग ट्रेक बनाए जाने के लिए पास के गाँव खंडवा, कल्याणखेड़ी, खेड़ा, सागौर, गोदगांव, आसूखेड़ी, उदली, पिपलिया, माधवपुरा और सुहागपुरा के करीब 1 हजार 31 किसानों की 4 हजार 300 एकड़ जमीन 2008-09 में ले ली गई थी। सरकार ने जमीन केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के नैट्रिप संस्थान को निशुल्क उपलब्ध करवाई और यहाँ के किसानों की जमीन का मुआवजा देने की जिम्मेदारी ली थी। पर तब से ही इन किसानों को अब तक कोई राशि उपलब्ध नहीं कराई गई। कुछ किसान इसके लिए कोर्ट पंहुच गए तो सरकार ने भी लंबा समय इसमें लगा दिया। अब यहाँ के किसान अपने वाजिब मुआवजे के लिए जगह-जगह प्रयास करके निराश हो चुके हैं। किसान संघर्ष समिति के श्याम माहेश्वरी और नरेंद्र चौधरी बताते हैं कि किसानों को नौ साल पहले अपनी जमीन से बिना किसी पुनर्वास बेदखल कर दिया। मुआवजा भी नहीं मिला तो कई प्रयास किए। कोई रास्ता नहीं निकला तो न्यायालय गए। उच्चतम न्यायालय ने 17 सितंबर 2015 के आदेश में राज्य शासन को 120 दिन में सभी किसानों को मुआवजा राशि देने को कहा था, यह अवधि 17 जनवरी को खत्म होने के बाद भी राशि नहीं मिल पाई। किसानों का कहना है कि यह न्यायालय आदेश की अवमानना है। संघर्ष समिति ने 25 फरवरी को सागौर में बड़ा धरना प्रदर्शन करके शासन को चेतावनी दी थी कि 30 अप्रैल के पूर्व समस्त मुआवजा राशि दें नहीं तो हमें आंदोलन की राह पकडऩा होगी, लेकिन अब यह समयसीमा भी बीत गई है। अब आंदोलन करेंगे और अवमानना के संबंध में फिर न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।      सवा 4 हजार एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी उद्योगों के लिए


     

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