उत्तराखंड में अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में : गृहमंत्री राजनाथ सिंह
नई दिल्ली ! वायुसेना के हेलीकॉप्टर और सरकारी एजेंसियां उत्तराखंड में जंगल में लगी भीषण आग बुझाने में युद्धस्तर पर जुटी हुई है। इस बीच अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि आग पूरी तरह नियंत्रण में है और इसमें अबतक किसी की मौत नहीं हुई है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा, "उत्तराखंड में अब स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि चिंतित होने की कोई बात नहीं है।"
शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय, भाजपा के जगदंबिका पाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक समेत कई अन्य सदस्यों ने उठाया।
राजनाथ ने कहा, "राज्य प्रशासन काम में लगा है। पिछली रात मैंने स्थिति की समीक्षा की। अधिकारियों ने मुझे बताया है कि स्थिति सामान्य एवं नियंत्रण में है।"
उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) कर्मी और हेलीकॉप्टर आग बुझाने के काम में लगाए गए हैं। अब आग पर नियंत्रण पा लिया गया है।
गृहमंत्री ने कहा, "आग के कारण किसी के हताहत होने के बारे में स्थानीय प्रशासन से कोई पुष्टि नहीं हुई है।"
हालांकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उत्तराखंड में आग के कारण हुई मौतों पर शोक जताया था।
इस आग की शुरुआत 89 दिन पहले हुई थी और इसकी चपेट में अब तक 3,000 एकड़ वन क्षेत्र आ चुके हैं।
केंद्रीय वन मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने सोमवार को सदन में कहा कि इस आग को बुझाने में दो दिन और लगेंगे।
उत्तराखंड में हरीश रावत सरकार की बर्खास्तगी के बाद 27 मार्च से ही राष्ट्रपति शासन लागू है।
इससे पहले तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने लोकसभा को एक स्थगन नोटिस दिया और उत्तराखंड की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने की मांग की। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह मांग ठुकरा दी।
बाद में शून्यकाल के दौरान राय ने कहा कि उत्तराखंड में कोई लोकप्रिय सरकार नहीं है। उन्होंने इस स्थिति के लिए भाजपा और कांग्रेस, दोनों को जिम्मेदार ठहराया।
मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया है कि जंगल की आग के कारण कुछ लोगों की मौत हुई है और 15 लोग घायल हुए हैं।
खबरों में यह भी कहा गया है कि पौड़ी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग, टिहरी और अल्मोड़ा में आग की वजह से सैकड़ों हेक्टेयर वन नष्ट हो गए हैं।
खराब दृश्यता और घने धुएं के कारण जंगल की आग बुझाने के प्रयास के तहत एमआई-17 हेलीकॉप्टरों की कई उड़ानें रविवार को रोकनी पड़ीं।
राज्य सरकार की उम्मीद बारिश पर टिकी हुई है।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जो भी उपाय संभव है, उनका इस्तेमाल करने के अलावा हम सिर्फ यही प्रार्थना कर सकते हैं कि राज्य में जल्द से जल्द बारिश हो जाए।
जंगल में भीषण आग के मुद्दे को नैनीताल उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार को मामले में जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है। मामले पर अगली सुनवाई नौ मई को होगी।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति वी.के. बिष्ट की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
उल्लेखनीय है कि अल्मोड़ा के बच्चों को बन्दरों से निजात दिलाने के लिए दाखिल एक जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष यह मामला उठा था। इस पर सोमवार को औपचारिक सुनवाई शुरू हुई।
पीठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम को प्रभावी रूप से लागू करने के निर्देश दिए और कहा कि "जंगलों में आग एक स्थाई समस्या है। इसके लिए पहले से इंतजाम करने की जरूरत है। इसलिए जंगल के बीच में 'चाल व खाल' बना कर पानी को रोकने की व्यवस्था होनी चाहिए।"
उत्तराखंड के जंगलों में फैली आग पर काबू पाने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपनी ताकत झोंक दी है। कई दमकल टीमों के तहत 130 से अधिक कर्मियों को तैनात किया है।
एनडीआरएफ की टीमों को पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा और चमोली जिलों में 13 प्रभावित इलाकों में भीषण आग पर काबू पाने के लिए लगाया गया है। आग से कई जिलों में करीब 2,269 हेक्टेयर जंगल नष्ट हो गए और अब तक कम से कम सात जानें गई हैं।
एनडीआरएफ के महानिदेशक ओ.पी. सिंह के मुताबिक, "हमारी टीमें अधिकारियों और राज्य दमकल एवं वन विभाग के कर्मियों के साथ तालमेल बिठा कर 13 क्षेत्रों में काम कर रही हैं।"
उन्होंने बताया कि इन टीमों को आग के फैलाव को रोकने की पारंपरिक पद्घति को अपनाने का निर्देश दिया गया है।
सिंह ने बताया, "हम आग को फैलने से रोकने के लिए उपकरणों और हरी झाड़ियों का इस्तेमाल कर रहे हैं। कई टीमों के तहत करीब 135 कर्मी फिलहाल उत्तराखंड में काम कर रहे हैं।"
उन्होंने बताया कि चमोली में एनडीआरएफ पाखी और गोपेश्वर इलाकों में काम कर रहा है, जबकि अल्मोड़ा में टीमें बिनसार, सोमेश्वर, बिकिसेन, सिपलाखेत और धौलादेवी में काम कर रही हैं।
महानिदेशक ने बताया कि प्रत्येक टीम आठ से 10 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर कर रही है। एनडीआरएफ की अतिरिक्त टीमों को गाजियाबाद में तैयार रखा गया है। पौड़ी जिले में महलचोरी के पर्वतीय इलाके में आग से एक मकान को भी बचाया, जिसमें चार लोगों का एक परिवार रहता है।
उन्होंने कल राज्यपाल के.के. पाल से बात भी की। वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी आग पर काबू पाने के लिए नैनीताल में पानी छिड़क रहे हैं। जंगल में लगी आग से पौड़ी, नैनीताल, रुद्रप्रयाग और टिहरी सर्वाधिक प्रभावित हुए हैं।