लखनऊ ! उत्तर प्रदेश में मदरसों के नाम पर सरकारी धन को एक साजिश के तहत हडपने का मामला प्रकाश में आया है।
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी के अनुसार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत से फर्जी मदरसे सरकार से धन वसूलने के लिए चलाये जा रहे हैं। इन मदरसों को अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा करोडों रुपये का अनुदान दिया गया।
राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) हाफिज उस्मान की अदालत ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अवर सचिव से इस मामले की जांच करने के आदेश दिये। उन्होंने मामलों की जांच कर एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिये हैं तथा आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर उनसे अनुदान की राशि को वसूलने के आदेश दिये हैं।
श्री उस्मान ने आज यहां कहा कि उनकी अदालत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले ने एक याचिका दी थी कि एक संगठित गिरोह द्वारा मदरसों एवं अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन की लूट खसोट की जा रही है। इसमें कुछ पंजीकृत मदरसे भी आरटीआई के तहत जानकारी मांगी थी कि कितने पंजीकृत मदरसा मुरादाबाद, सम्भल और अमरोहा जिले में हैं। कितने मदरसों को केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा आधुनिकीकरण किया जा रहा है। इन मदरसों में कितने शिक्षक काम कर रहे हैं। इसके लिए कितना अनुदान मंजूर किया गया है।
सूचना के अधिकार के तहत यह भी जानकारी मांगी थी कि कितने मदरसों को अल्पसंख्यक एजुकेशन सोसायटी द्वारा चलाया जा रहा है। इस मामले में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने जानकारी उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया। इसके बाद यह मामला मुख्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान की अदालत में लाया गया है।
श्री उस्मान ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया। कई मामलों में एक पंजीकृत मदरसे के नाम पर कई स्थानों में अनुदान दिया गया। इस मामले में मुरादाबाद जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को तलब किया गया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव को आदेश दिये गये कि अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।