• केवल एनईईटी से ही होगा मेडिकल में दाखिला,छूट के लिए दायर याचिका को ठुकराया

    नई दिल्ली ! सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल के अंतर-स्नातक (अंडर ग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों में दाखिला चाहने वाले छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) में शामिल होना होगा। न्यायालय ने तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश द्वारा एनईईटी से छूट के लिए दायर याचिका को ठुकरा दिया।...

    नई दिल्ली !   सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि मेडिकल के अंतर-स्नातक (अंडर ग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों में दाखिला चाहने वाले छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) में शामिल होना होगा। न्यायालय ने तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश द्वारा एनईईटी से छूट के लिए दायर याचिका को ठुकरा दिया। न्यायमूर्ति अनिल आर. दवे, शिव कीर्ति सिंह और ए. के. गोयल की पीठ ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा (सीबीएसई) दो चरणों में एनईईटी परीक्षा का आयोजन करने की स्वीकृति दे दी। एनईईटी की पहली परीक्षा एक मई को और दूसरी 24 जुलाई को होगी। परीक्षा का परिणाम 17 अगस्त को घोषित होगा। उसके बाद काउंसिलिंग और दाखिला होगा।

    पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि उसके 11 अप्रैल के आदेश से उसके वर्ष 2013 में 18 जुलाई को दिए गए आदेश को वापस ले लिया गया। उसके बाद 21 जुलाई 2010 की वह अधिसूचना बहाल हो गई है जिसके जरिए अंतर-स्नातक और स्नातकोत्तर (पोस्ट ग्रेजुएट) पाठ्यक्रमों दाखिले के लिए एनईईटी को अनिवार्य बनाया गया था।

    सर्वोच्च न्यायालय ने 18 जुलाई 2013 के आदेश में एनईईटी को प्रक्रियागत और तथ्यात्मक दोनों तरह से दोषपूर्ण करार दिया था। तब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन ने एनईईटी पर रोक लगा दी थी। उस पीठ में शामिल न्यायमूर्ति दवे बहुमत के इस फैसले से असहमत थे।

    सर्वोच्च न्यायालय के गत 11 अप्रैल के जिस आदेश के जरिए 18 जुलाई 2013 का आदेश वापस लिया गया, उसे पांच न्यायाधीशों न्यायमूर्ति दवे, न्यायमूर्ति गोयल, न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी, न्यायमूर्ति आर. के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति आर भानुमति की संविधान पीठ ने पारित किया था।

    अपर सॉलिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने अदालत को बताया कि एनईईटी-1 की परीक्षा में करीब 6.5 लाख छात्र भाग ले रहे हैं जबकि 2.5 लाख छात्र एनईईटी-2 में बैठेंगे।


    पीठ ने तीनों राज्यों की दलीलों को खारिज करते हुए कहा, "हम इससे सहमत नहीं हैं कि एनईईटी का आयोजन करना उचित नहीं है। इन राज्यों का कहना था कि अलग से प्रवेश परीक्षा आयोजित करने का उनका अपना वैधानिक अधिकार है।"

    गुरुवार को पारित आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि तमिलनाडु, तेलंगाना ओर आंध्रप्रदेश की याचिकाएं स्वीकार नहीं करने से एनईईटी की 2010 की अधिसूचना को दी गई उनकी चुनौती प्रभावित नहीं होगी।

    इसी तरह पीठ ने कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज एसोसिएशन की याचिका भी खारिज कर दी। उनमें कहा गया था कि उन्हें अपने द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला लेने की अनुमति दी जाए।

    सीएमसी वेल्लौर ने भी अदालत से आग्रह किया था कि उसे मेडिकल के अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में खुद ली गई प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाखिला लेने दिया जाए।

    आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना की ओर से क्रमश: वरिष्ठ अधिवक्ता पी.पी. राव, एल. नागेश्वर राव और हरिन रावल ने अदालत से राज्यों को खुद परीक्षा लेकर दाखिला लेने देने के लिए दलील पेश की थी।

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