• पशुओं को साथी बनाएं, गुलाम नहीं

    जानवर इंसान का सबसे पुराना और वफादार साथी है, इसके न जाने कितने प्रकरण पौराणिक कथाओं से लेकर ऐतिहासिक घटनाओं में मौजूद हैं और आज भी ऐसी घटनाएं होती हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि बुरे समय में आदमी की परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है, लेकिन उसका पशु साथी नहीं।...

    जानवर इंसान का सबसे पुराना और वफादार साथी है, इसके न जाने कितने प्रकरण पौराणिक कथाओं से लेकर ऐतिहासिक घटनाओं में मौजूद हैं और आज भी ऐसी घटनाएं होती हैं जो इस बात की पुष्टि करती हैं कि बुरे समय में आदमी की परछाई भी उसका साथ छोड़ देती है, लेकिन उसका पशु साथी नहीं। बीते दिनों मनाली में पर्वतारोहण के लिए गए आठ छात्र जब अचानक हुई बर्फबारी में फंस गए तब छह छात्रों को तो बचाव अभियान ने ढूंढ लिया था, लेकिन दो छात्र एक गुफा में फंसे हुए थे। वहां एक कुत्ते को अपने शरीर के पास रखकर उससे गर्माहट लेते रहे और इस तरह शून्य से नीचे तापमान में 70 घंटे से अधिक का समय उन्होंने बिताया। जब हेलीकाप्टर इन दोनों को लेने पहुंचा तो छात्र अपने साथ इस जीवनरक्षक कुत्ते को भी लाना चाहते थे, लेकिन वह हेलीकाप्टर की आवाज से डर कर भाग गया। दोनों छात्रों को मलाल है कि वे अपने इस अनजान साथी को साथ लेकर नहींआ पाए। सियाचिन में जब सेना के जवान बर्फीले तूफान में फंसे थे, तो उन्हें ढूंढने में खोजी कुत्तों की मदद ली गई थी। तकनीकी और वैज्ञानिक विकास के साथ सुरक्षा बलों का निरंतर आधुनिकीकरण हो रहा है, लेकिन बावजूद इसके कुत्ते, घोड़े, ऊंट पुलिस और सेना के अंग बने हुए हैं, क्योंकि इनकी उपयोगिता सदियों से परखी हुई है। जानवरोंंकी उपयोगिता सुरक्षा कार्यों में ही नहींबल्कि घरेलू और कृषि कार्यों में भी बनी हुई है, यह बताने की जरूरत नहीं। फिर भी इंसान अवसर मिलते ही अपना अहंकार इन मूक पशुओं पर जुल्म के रूप में दर्शा ही देता है। पशु अधिकारों को लेकर बीते कुछ दशकों में विश्वव्यापी मुहिम छिड़ी हुई है और इस वजह से थोड़ी जागरूकता भी फैली है। भाजपा सांसद और केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी पशुओं के अधिकारों को लेकर काफी मुखर रही हैं। लेकिन उनकी ही पार्टी के एक विधायक पर जब पुलिस दस्ते में शामिल घोड़े की टांग तोडऩे का आरोप लगता है तो यह जिज्ञासा स्वाभाविक है कि सुश्री गांधी इस मामले में कैसा रूख अपनाती हैं? वे फिलहाल देश से बाहर हैं इसलिए इस घटना पर उनकी ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहींआई है। मामला उत्तराखंड का है, जहां विधानसभा का घेराव करने जा रहे भाजपाइयों को रोकने के लिए पुलिसकर्मी लगे थे, उनमें अश्वारोही जवान भी थे। इस दौरान भाजपा विधायक गणेश जोशी ने शक्तिमान नामक एक घोड़े को लाठी से पीटा और उसकी टांग तोड़ी, ऐसा आरोप लगा है और मामले का वीडियो भी सामने आया है। भाजपा विधायक पर केस दर्ज हुआ है, हालांकि उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार ने वीडियो से छेडख़ानी की है और उन्होंने घोड़े को नहींमारा है। मामले की सच्चाई जांच के बाद ही सामने आएगी। फिलहाल घोड़े पर उत्तराखंड में सियासत गर्म है। भाजपा कह रही है कि कांग्रेस घोड़े को मुद्दा बना रही है। अगर ऐसा है तो क्या भाजपा यह मानेगी कि उसने गाय को मुद्दा बनाने का हथकंडा अपनाया हुआ है। कुछ समय पहले तमिलनाडु में जब जल्लीकट्टू नामक खेल पर प्रतिबंध का मुद्दा उठा था, तो उसके रूख से साफ था कि वोट की खातिर वह बैलों पर होने वाले अत्याचार से आंखे मूंद फेर रही है। पशुओं के लिए संवेदनशीलता केवल गाय तक ही क्यों सीमित रहना चाहिए? गाय, बैल, घोड़ा, हाथी, मुर्गा, शेर यहां तक कि नन्ही चींटी, मधुमक्खी और गौरेया सबका हिस्सा इस प्रकृति में निर्धारित है, उसे सुरक्षित करने की नैतिक जिम्मेदारी इंसान को उठाना चाहिए, क्योंकि अपने दिमाग और जुबान के कारण उसने खुद को इन पशुओं का मालिक घोषित कर लिया है। मालिकाना हक वाली मानसिकता हम छोड़ेंगे और पशुओं को साथी के रूप में अपनाएंगे तो शायद हमारा व्यवहार भी बदलेगा।

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