• ब्राजील : जान बचाने वाले से मिलने हर साल पहुंचती है पेंग्विन

    रियो डी जेनेरियो । कहते हैं कि प्यार की कोई जुबान नहीं होती। एक पेंग्विन अपनी जान बचाने वाले शख्स के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए हर साल करीब 8,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ब्राजील पहुंचती है।'ग्लोबो टेलीविजन' ने बुधवार को एक वीडियो दिखाया, जिसमें एक पेंग्विन को उसकी जान बचाने वाले जोआओ परेरा डिसूजा (71) को चूमते दिखाया गया है।वर्ष 2011 में जोआओ ने रियो के करीब एक समुद्रतट पर बुरी हालत में इस पेंग्विन को पाया था। उन्होंने उसकी मरहम-पट्टी की। उसने पेंग्विन का प्यार से 'डिनडिम' नाम रखा।...

    ब्राजील : जान बचाने वाले से मिलने हर साल पहुंचती है पेंग्विन

    रियो डी जेनेरियो । कहते हैं कि प्यार की कोई जुबान नहीं होती। एक पेंग्विन अपनी जान बचाने वाले शख्स के प्रति अपना प्यार दिखाने के लिए हर साल करीब 8,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ब्राजील पहुंचती है।'ग्लोबो टेलीविजन' ने बुधवार को एक वीडियो दिखाया, जिसमें एक पेंग्विन को उसकी जान बचाने वाले जोआओ परेरा डिसूजा (71) को चूमते दिखाया गया है।वर्ष 2011 में जोआओ ने रियो के करीब एक समुद्रतट पर बुरी हालत में इस पेंग्विन को पाया था। उन्होंने उसकी मरहम-पट्टी की। उसने पेंग्विन का प्यार से 'डिनडिम' नाम रखा।

    करीब एक साल बाद डिनडिम वापस समुद्र में लौट गई। जोआओ ने कहा, "मुझसे सभी ने कहा कि अब तुम उसे दोबारा नहीं देख पाओगे, लेकिन वे सब गलत थे।"डिनडिन कुछ माह बाद अचानक से लौट आई। वह तब से हर साल समुद्र की एक लंबी यात्रा तय कर जोआओ से मिलने आती है।डिनडिन व उसके जैसे अन्य पेंग्विन अर्जेटीना के पेटागोनिया क्षेत्र में रहती हैं। पेटागोनिया क्षेत्र और रियो के बीच की दूरी करीब 8,000 किलोमीटर है।


    पूर्व में ईंट भट्टा कर्मी रहे जोआओ ने कहा, "मैं पेंग्विन से अपनी औलाद की तरह प्यार करता हूं। मुझे लगता है कि वह भी मुझसे प्यार करती है।"

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