• लेखपाल ने हड़पी सैकड़ों बीघे जमीन, आरटीआई से हुआ खुलासा

    राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर को दिये थे प्रकरण में कार्यवाही के आदेश...

  • राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर को दिये थे प्रकरण में कार्यवाही के आदेश

लखनऊ,  14 फरवरी : जनपद गाजियाबाद के महरौली निवासी देवेन्द्र यादव ने सूचना अधिकार के तहत जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर से शिव कुमार गोयल, पूर्व लेखपाल की तैनाती कहां-कहां पर हुई एवं उनके द्वारा की गई जालसाजी/फर्जीवाड़े और पुलिस-प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें प्रकरण के सम्बन्ध में कोई सूचनाएं उपलब्ध नहीं करवायी गयी, फिर वादी ने आरटीआई एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल कर सूचनाएं प्राप्त करनी चाही हैं।

राज्य सूचना आयुक्त  हाफिज उस्मान ने जनसूचना अधिकारी, जिलाधिकारी, मुजफ्फरनगर को सूचना अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 20 (1) के तहत नोटिस जारी करते हुए, आदेशित किया कि वादी के प्रार्थना-पत्र में दोषियों पर कार्रवाई करते हुए 30 दिन के अन्दर आयोग को अवगत कराये, अन्यथा जनसूचना अधिकारी स्पष्टीकरण देंगे कि वह वादी को सूचना क्यों नहीं दी।

सुनवाई के दौरान प्रतिवादी राकेश कुमार वर्मा ने आयोग को पूर्णरूप से जानकारी दी कि पूर्व लेखपाल के खिलाफ प्रशासन की ओर से वर्ष 2014 से लेकर अब तक मुजफ्फरनगर के जारसठ, भोपा और ककरौली थाने में जालसाजी, दस्तावेजों में हेराफेरी और गिरहो बंद अधिनियम के कुल 14 मुकदमे दर्ज हैं। आयोग के समक्ष प्रकरण में यह भी सच सामने आया कि चकबंदी के नाम पर सरकारी और किसानों की उपजाऊ सैकड़ों बीघे जमीन हड़पने वाले लेखपाल के कारमानों की जानकारी आरटीआई एक्ट के तहत खुलकर सामने आयी।


प्रतिवादी द्वारा आयोग को यह भी बताया गया है कि मुजफ्फरनगर के शुक्रताल खादर में मजलिसपुर तौफीर के जंगल में हुई पैमाइश में लेखपाल ने सैकड़ों बीघे जमीन पर कब्जा कर रखा था, जिस पर उसके करीबी शख्स खेती कर रहे हैं, जिला प्रशासन की रिपोर्ट की मानें तो मोरना निवासी, मुजफ्फरनगर के रिटायर्ड लेखपाल शिव कुमार गोयल ने अपने कार्यकाल में कई जमीनों की खतौनी अपने नाम तैयार करवाई थी, साथ ही सीकरी झील को आरोपी ने हजम कर दिया, और कागजों में मिली जानकारी में झील दर्ज होने के बाद भी आरोपी ने उसकी फर्जी खतौनी तैयार करवा कर अपने नाम कर ली थी।

प्रकरण के सम्बन्ध में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, इस आशय की जानकारी प्रतिवादी ने आयोग को दी है, जो पटल पर मौजूद है।

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