• हर रोज नया बवाल, पहला साल केजरीवाल

    नई दिल्ली ! देश में विजय पताका लहराने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयरथ को थामने वाले योद्घा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जैसे मंच पर पहुंचे, भूखे, प्यासे दूर दूर से आए लोगों में उत्साह, रोमांच की लहर दौड़ गई।...

    अनिल सागर नई दिल्ली !    देश में विजय पताका लहराने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजयरथ को थामने वाले योद्घा आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जैसे मंच पर पहुंचे, भूखे, प्यासे दूर दूर से आए लोगों में उत्साह, रोमांच की लहर दौड़ गई। 'मैं अरविंद केजरीवाल...Ó यह शपथ पूरी होते तो देश भर के राजनीतिक पंडि़तों ने मुख्यमंत्री बने इस पूर्व नौकरशाह की कुंडली जांचनी शुरू कर दी। एक साल बीत गया लेकिन न तो राजनीतिक पंडि़त इस राजनीतिक योद्घा की व्यूह रचना भेद पाए और न ही भाजपा और कांग्रेस के सूरमा कोई मोर्चेबंदी कर सके। दागदार दामन के बावजूद केजरीवाल हैं कि बिहार में भाजपा के  विरोध में मुखर होने के बाद अब पंजाब के रास्ते विस्तार की योजना को धार दे रहे हैं। बदलाव की राजनीति की शुरूआत दुनिया में इकलौते उदाहरण से शुरू हुई जब मुख्यमंत्री ने अपने पास कोई विभाग नहीं रखा फिर हटाए मुख्य सचिव को दोबारा कार्यभार दिया तो वहीं पहला दाग तब लगा जब फर्जी डिग्री मामले में जितेंद्र सिंह तोमर को जेल की हवा खानी पड़ी। अंदाज, आवाज और आगाज से केजरीवाल इस आंधी को भी अपनी ऊर्जा बनाकर आगे बढ़े और बिजली हाफ, पानी माफ का तोहफा देकर एक बड़ा वादा पूरा किया। फिर आंदोलन के साथी, रणनीति के धुरंधरों को सरकार में स्थान दिया। वेतन, बंगला, मंत्री तुल्य सुविधाएं सभी से नवाजा और विपक्ष की आवाज नक्कारखाने की तूती बनकर रह गई। केंद्र व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात हो या गृह मंत्री राजनाथ सिंह से भेंट, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा, सुविधाओं की जोरदार मांग रखी लेकिन विधिवत पत्राचार से पहले समाचार में विश्वास रहा। कांग्रेस के साथ 49 दिन की दोस्ती के बाद नई दुश्मनी भाजपा से हुई और प्रशासनिक उठापटक के बीच केजरीवाल ने बिहार में नितीश कुमार की अगुवाई वाली सरकार का आह्वïन कर भाजपा को सीधे घेरा। मोदी को चिढ़ाते हुए नितीश के मंच पर पहुंच गए और कभी जिस लालू प्रसाद पर केजरीवाल आग उगलते थे अब उनके साथ वो मंच साझा करते और गले मिलते नजर आए। केजरीवाल के खास दोस्तों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सबसे ऊपर है इसका उदाहरण भी है जब दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में उन्होंने केंद्र और राज्यों के संबंधों पर बैठक की तो ममता पहुंची और नीतीश ने केजरीवाल को सही ठहराया। केंद्र के बहाने दिल्ली पुलिस, उपराज्यपाल नजीब जंग से भी टकराते रहे, प्रशासनिक अधिकारियों से असंतुष्ट केजरीवाल सरकार ने पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी, उपराज्यपाल नजीब जंग को भाजपा का एजेंट तक कहा। इसी एक साल में कभी पार्टी की धुरी रहे केजरीवाल के करीबी और उनकी आवाज रहे योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने जब सवाल किए तो उन्हें भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। हां, गाहे बगाहे अन्ना हजारे का साथ उन्हें मिलता रहा और जन लोकपाल सहित कई विधेयकों में विधायकों के 400 प्रतिशत वेतन वृद्घि के विधेयक भी पारित कर दिए गए। सरकार अब 365 दिन चल कर अगले वर्ष में प्रवेश कर रही है एसीबी पर कब्जा नहीं रहा और मुख्यमंत्री कार्यालय में सीबीआई छापा, एक मंत्री सीधे रिश्वत मांगते पकड़ में आया तो एक विधायक की पत्नी ने उत्पीडऩ के आरोप लगाकर जेल भिजवाया। कई विधायकों पर भी आरोप प्रत्यारोप लगते रहे और केजरीवाल हैं कि विशेष विधानसभा सत्र बुलाकर चौतरफा हमला करते और विजेता बनकर उभर जाते।


     

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