• मोदी सरकार निवेश बढ़ाने में विफल,भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में नहीं

    नई दिल्ली ! पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह घटती तेल कीमत और अनुकूल वैश्विक स्थिति का लाभ उठाते हुए देश में निवेश बढ़ाने में विफल रही है। मनमोहन ने इंडिया टुडे साप्ताहिक को दिए साक्षात्कार में कहा, "अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी स्थिति में नहीं है, जितनी अच्छी हो सकती थी।...

    नई दिल्ली !   पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह घटती तेल कीमत और अनुकूल वैश्विक स्थिति का लाभ उठाते हुए देश में निवेश बढ़ाने में विफल रही है। मनमोहन ने इंडिया टुडे साप्ताहिक को दिए साक्षात्कार में कहा, "अर्थव्यवस्था उतनी अच्छी स्थिति में नहीं है, जितनी अच्छी हो सकती थी। जबकि हकीकत यह है कि आज की स्थिति संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दिनों से काफी बेहतर है।" उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में तेल मूल्य प्रति बैरल 150 डॉलर तक पहुंच गया था। उन्होंने कहा, "आज यह प्रति बैरल 30 डॉलर पर है। इससे देश का भुगतान संतुलन सुधरा है और चालू खाता घाटा कम हुआ है।" इससे सरकार को वित्तीय घाटा कम करने में भी मदद मिली है। उन्होंने कहा, "यह बड़े पैमाने पर देश में निवेश बढ़ाने का एक अवसर है।" उन्होंने कहा कि अभी देश में निवेश की दर 32 फीसदी है, जबकि कांग्रेस के दिनों में यह 35 फीसदी थी। उन्होंने कहा, "यह सही है कि कांग्रेस सरकार के अंतिम दो साल में यह घट गया था, लेकिन हमारे समय में तेल मूल्य आसमान पर पहुंच गया था, जो अभी नहीं है।" उन्होंने कहा कि भारत अवसर का लाभ उठाने से चूक रहा है, क्योंकि भारत कमोडिटी का शुद्ध आयातक देश है और इसे सस्ती कमोडिटी का लाभ उठाना चाहिए। सिंह ने कहा, "इससे भुगतान संतुलन सुधरा है। इससे महंगाई और वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिली है।" उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के पास आत्मविश्वास का अभाव है। उन्होंने कहा, "लोग सरकार में भरोसा नहीं कर रहे हैं।" उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि आम राय यह बन रही है कि सरकार ने अपने वादे पूरे नहीं किए हैं। उन्होंने कहा, "विकास दर के मोर्चे पर भी अधिक बदलाव नहीं हुआ है। हमारी सरकार के अंतिम दिनों में विकास दर 6.9 फीसदी थी, जबकि ताजा आंकड़े के मुताबिक यह करीब 7-7.2 फीसदी है।" उन्होंने कहा, "इसलिए भुगतान संतुलन सुधरने के बाद भी अर्थव्यवस्था उस तरीके से आगे नहीं बढ़ पा रही है, जैसा वादा सरकार ने किया था।"


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