• नहीं रहे लांस नायक हनुमंथप्पा, पीएम मोदी भी शहीद को श्रद्धांजलि देने जाएंगे

    नई दिल्ली । सियाचिन में एवलांच के छह दिन बाद बचाए गए लांस नायक हनुमनथप्पा कोमा से बाहर नहीं आ सके। मल्टी ऑर्गन फेल्योर के बाद उन्हें गुरुवार दोपहर हार्ट अटैक आया और उन्हें बचाया नहीं जा सका। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और तीनों सेनाओं के चीफ ने दिल्ली में हनुमनथप्पा को श्रद्धांजिल दी। मोदी भी कुछ देर बाद श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे। छह किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे स्कूल। ...

    नई दिल्ली/कर्नाटक । सियाचिन में एवलांच के छह दिन बाद बचाए गए लांस नायक हनुमनथप्पा कोमा से बाहर नहीं आ सके। मल्टी ऑर्गन फेल्योर के बाद उन्हें गुरुवार दोपहर हार्ट अटैक आया और उन्हें बचाया नहीं जा सका। डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर और तीनों सेनाओं के चीफ ने दिल्ली में हनुमनथप्पा को श्रद्धांजिल दी। मोदी भी कुछ देर बाद श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे। छह किलोमीटर पैदल चलकर जाते थे स्कूल। 

    हनुमनथप्पा को उनके करीबी फाइटर बताते हैं। एक ऐसा शख्स जिसकी आवाज कड़क लेकिन अंदाज मीठा था। हनुमनथप्पा जानबूझकर कठिन पोस्टिंग मांगते थे। जम्मू-कश्मीर में 2008 से 2010 के बीच रहे। इसके बाद वो दो साल तक वो नॉर्थ-ईस्ट में पोस्टेड रहे। वे 13 साल के आर्मी कॅरियर में वे 10 साल मुश्किल हालात में रहे। कठिन जगहों पर पोस्टिंग मांगी।  10 मद्रास रेजीमेंट से उनकी पोस्टिंग अगस्त में सियाचिन में हुई। 


    हनुमनथप्पा की पत्नी का नाम महादेवी और दो साल की बेटी का नाम नेत्रा है। हनुमनथप्पा का नाम भगवान हनुमान के नाम पर रखा गया था।  कर्नाटक में स्कूल जाने के लिए वह रोज 6 किलोमीटर पैदल चलते थे। खास बात यह है कि हनुमनथप्पा आर्मी में ही जाना चाहते थे। लेकिन सिलेक्ट होने के पहले तीन बार वह रिजेक्ट कर दिए गए थे। वह अपने गांव के लड़कों से कहते थे कि देश सेवा के लिए आर्मी में जाना चाहिए। आर्मी के अपने साथियों से वह योग करने को कहते थे।

     

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