• मैहर चुनावः कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेताओं का लगा बड़ा जमावड़ा

    सतना । मैहर के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा चुनाव होगा जब जनता ने कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेताओं का इतना बड़ा जमावड़ा देखा होगा। बड़े नेता और बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियां रोज सड़कों से लेकर गांव तक दाड रही हैं। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह का तीन दिन से मैहर में डेरा है। 37 सभाएं हो चुकी हैं। संभवतः दिल्ली से मिले इशारे के बाद कांग्रेस के सभी बड़े नेता एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चल रहे हैं। यह भी संयोग है कि भाजपा और कांग्रेस जिन चेहरों के साथ चुनाव लड़ रही है वे दल बदलकर आए हैं।...

    सतना । मैहर के इतिहास में शायद ही कोई ऐसा चुनाव होगा जब जनता ने कांग्रेस-भाजपा के दिग्गज नेताओं का इतना बड़ा जमावड़ा देखा होगा। बड़े नेता और बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियां रोज सड़कों से लेकर गांव तक दाड रही हैं। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह का तीन दिन से मैहर में डेरा है। 37 सभाएं हो चुकी हैं।

    संभवतः दिल्ली से मिले इशारे के बाद कांग्रेस के सभी बड़े नेता एक-दूसरे का हाथ पकड़कर चल रहे हैं। यह भी संयोग है कि भाजपा और कांग्रेस जिन चेहरों के साथ चुनाव लड़ रही है वे दल बदलकर आए हैं। इसलिए जनता का रुख बड़े-बड़े दिग्गज भांप नहीं पा रहे हैं। 13 फरवरी को वोट पड़ेंगे और 16 को परिणाम आएंगे। माना ऐसा जा रहा है कि प्रदेश की राजनीति का रुख इन नतीजों से तय हो सकता है।

    11 फरवरी को चुनावी शोरगुल थमेगा और सीएम की सभाओं का आंकड़ा 55 पार होगा। कांग्रेस के दिग्गज कमलनाथ और दिग्गी चुनावी हवा बना चुके हैं। अंतिम दिन ज्योतिरादित्य सिंधिया मैहर की सड़कों में घूमेंगे। कुल जमा भाजपा-कांगेस के दिग्गजों को प्रतिष्ठा बचाने के लिए खूब हाथ-पैर मारने पड़ रहे हैं।


    बसपा और सपा भी दम दिखाने में पीछे नहीं है। नारायण त्रिपाठी कांग्रेस छा़ेडकर भाजपा में आए थे तब किसी ने नहीं सोचा था कि मैहर का उपचुनाव इतना टशन वाला होगा। सत्ता दल भाजपा को आसान लगने वाली इस सीट पर इतने पापड़ बेलने पड़ेंगे यह समझ में आते ही शिवराज ने मैहर की कमान संभाल ली। कांग्रेस के अजय सिंह राहुल भैया भी कोई कसर नहीं छा़ेड रहे हैं।

    कांग्रेस का दामन छा़ेडकर आए नारायण त्रिपाठी को भाजपा ने उम्मीद्वार बनाया है। वहीं कांग्रेस के मनीष पटेल ने बसपा से हाथ खींचकर पार्टी ज्वाइन की। सपा उम्मीद्वार रामनिवास उरमलिया भी भाजपा छा़ेडकर आए। इन तीन दल बदलने वालों पर पार्टियों ने दांव लगाया है। इनको मिलाकर कुल 17 उम्मीद्वार मैदान में है। विंध्य की राजनीति में जातिगत फैक्टर अहम होते हैं लेकिन इस चुनाव में ये फैक्टर चलेगा कि नहीं इस पर भी पॉलीटिकल पंडितों को संशय है।

    भाजपा में मंत्री और विधायक चुनाव की कमान संभाले हुए हैं। खुलकर तो कुछ बोलने से रहे पर भाव से साफ झलकता है कि चुनावी हार-जीत के आंकड़े का अंतर कोई बहुत बड़ा नहीं होगा। चुनाव टफ है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और विधायकों की फौज भी मैहर में दिन-रात एक कर रही है। एक-दूसरे के दांव पेंच समझे जा रहे हैं, और हर दिन चुनाव की तस्वीर बदल रही है।

अपनी राय दें