• मानव रहित रेलवे फाटक करीब आने के कुछ मीटर पहले ही बजेगा वार्निंग अलार्म

    अहमदाबाद। मानव रहित रेलवे फाटक पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने जीपीएस एडेड जिओ आगमेंटेड नेविएशन (गगन) द्वारा ऐसी पद्घति विकसित की है जिसके द्वारा मानव रहित फाटक पर पहुंचने के साथ ही इंजन में लगा अलार्म अपने आप बजने लगेगा।...

    अहमदाबाद। मानव रहित रेलवे फाटक पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने जीपीएस एडेड जिओ आगमेंटेड नेविएशन (गगन) द्वारा ऐसी पद्घति विकसित की है जिसके द्वारा मानव रहित फाटक पर पहुंचने के साथ ही इंजन में लगा अलार्म अपने आप बजने लगेगा।

    इससे इंजन ड्राइवर और मानव रहित फाटक पार करने वाले यात्री सतर्क हो जाएंगे। इससे दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। इसका प्रथम परीक्षण हाल ही में स्पेश एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) द्वारा किया गया है। इसमें सफलता मिली है। इस प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में देश की कुल 50 रेलगाड़ियों में इस प्रकार के वार्निंग अलार्म सिस्टम लगाए जाएंगे।


    इसमें सफलता मिलेगी तो कई चरणों में इन्हें देश की सभी रेलगाड़ियों में लगा दिया जाएगा। मानव रहित फाटक के कारण प्रति वर्ष औसतन सात हजार लोगों की मौत हो जाती है। इसरो की इस नेवीएशन सिस्टम में जीपीएस है, और वह सेटेलाइट मॉनीटरिंग पर आधारित है। इस सिस्टम के अंतर्गत सभी रेलगाड़ियों में माइक्रो चिप्स लगाए जाएंगे।

    चिप लगाने के बाद रेलगाड़ी जब मानवरहित फाटक के पास पहुंचेगी तब नेविएशन की सहायता से वार्निंग अलार्म रेलगाड़ी के इंजन में अपने आप बज उठेगा। मानव रहित फाटक करीब आने के कुछ मीटर पहले ही वार्निंग अलार्म जोर से बजेगा। ज्यों-ज्यों मानव रहित फाटक करीब आएगा, त्यों-त्यों अलार्म तेज होता जाएगा। रेलगाड़ी के गुजरने के बाद वार्निंग अलार्म अपने आप बंद हो जाएगा। अलार्म की आवाज केवल इंजन ड्राइवर ही नहीं, परंतु फाटक के पास खड़ा कोई भी व्यक्ति सुन सकेगा।

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