• भाजपा ने आप सरकार पर बोला हमला 'केजरीवाल का दलित विरोधी चेहरा बेनकाब'

    नई दिल्ली । भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार को दलित विरोधी करार देते हुए कहा कि निगम को लोन देने के लिए शर्तें दलित विरोधी हैं। महापौर रवींद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार, निगम, जल बोर्ड सहित विभिन्न विभागों में कार्यरत अस्थायी सफाईकर्मियों व अन्य चतुर्थ श्रेणी के 50 हजार कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का निर्णय ले चुकी है।...

    नई दिल्ली । भाजपा ने अरविंद केजरीवाल सरकार को दलित विरोधी करार देते हुए कहा कि निगम को लोन देने के लिए शर्तें दलित विरोधी हैं। महापौर रवींद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार, निगम, जल बोर्ड सहित विभिन्न विभागों में कार्यरत अस्थायी सफाईकर्मियों व अन्य चतुर्थ श्रेणी के 50 हजार कर्मचारियों को नौकरी से हटाने का निर्णय ले चुकी है।  सफाई, माली, चपरासी जैसे कामों में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत लाना चाहती है। लेकिन नगर निगम इस जनविरोधी आदेश का पालन नहीं करेंगे, न तो सम्पत्ति कर बढ़ायेंगे और न ही अनधिकृत कालोनियों में विकास के पहुंचने तक सम्पत्ति कर वसूली के लिए कोई दबाव बनायेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय, सांसद रमेश बिधूड़ी, सदन के नेता योगेंद्र चांदोलिया ने बताया कि सरकार ने नगर निगमों को आदेश दिया है कि वह मुनिस्पिल वेल्युएशन कमेटी की सिफारिशों को अगले दो माह में लागू करें और सम्पत्ति कर के पुराने देय को देने के लिए दी जा रही छूट को वापस लें। उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली सरकार जनता का विश्वास तेजी से खो रही है और जनविरोधी कार्यों के साथ-साथ आकंठ भ्रष्टाचार में भी डूबी हुई है। दिल्ली सरकार द्वारा जारी परिपत्र का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चार फरवरी को नगर निगमों के लिए जारी केजरीवाल सरकार दलित, गरीब विरोधी सरकार है और इसे उत्सव मनाने का अधिकार नहीं है। चुनाव पूर्व अस्थायी सरकारी कर्मचारियों विशेषकर को आम आदमी पार्टी ने स्थायी करने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद बेहद शर्मनाक तरीके से केजरीवाल सरकार आज सभी अस्थायी सफाईकर्मियों को सरकारी सेवा से हटाने पर अमादा है। सरकार का दलित विरोधी चेहरा यह भी है कि वह निचले स्तर के कर्मियों को हटाने के साथ ही पिछड़े समाज से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को भी लगातार प्रताडि़त करती रही है। फिर चाहे शकुंतला गैम्बलिन, धर्मपाल, अश्वनी कुमार, एमके मीणा हो या फिर कुलदीप गांगर जैसे अधिकारी। सरकार ने दिल्ली के किसी भी मूल निवासी बाल्मीकि एवं अन्य दलित को भी कोई प्रतिनिधित्व नहीं दिया है। सरकार के मुखिया की तरह ही दलित कोटे के मंत्री संदीप कुमार को भी अंतिम समय में सोनीपत से दिल्ली लाकर चुनाव लड़वाया गया था। सदन के नेता योगेन्द्र चांदोलिया ने कहा कि कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं जो गरीब और दलित को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। भाजपा शासन के दौरान हमने 2011-12 में नगर निगम में 7200 से अधिक कर्मचारियों को स्वत:संज्ञान लेकर नियमित किया था। निगम नेताओं ने कहा कि सरकार मुनिस्पिल वेल्युएशन कमेटी की सिफारिशें लागू करवा कर अनधिकृत कालोनियों, गांवों, गु्रप हाउसिंग सोसायटियों में सम्पत्ति कर बढ़ाने और वसूलने पर जोर दे रही है।


     

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