• कॉलेज के लेखापाल ने की खुदकुशी की कोशिश

    भोपाल ! शहर के एक कॉलेज में लेखापाल ने मंगलवार सुबह नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उसका आरोप है कि गड़बडिय़ों में जब उसने कॉलेज प्रबंधन का साथ नहीं दिया तो, उसे चोर साबित करने की कोशिश की गई। युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भरती कराया गया है।...

    भोपाल !   शहर के एक कॉलेज में लेखापाल ने मंगलवार सुबह नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। उसका आरोप है कि गड़बडिय़ों में जब उसने कॉलेज प्रबंधन का साथ नहीं दिया तो, उसे चोर साबित करने की कोशिश की गई। युवक को गंभीर हालत में अस्पताल में भरती कराया गया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 25 वर्षीय नरेन्द्र शर्मा बोनीफाई कॉलेज में अकाउंटेंट है। मंगलवार सुबह उसने दस से ज्यादा नींद की गोलियां खा ली। जब उसे घबराहट हुई, तो उसने इसकी जानकारी अपने दोस्त को दी। दोस्त उसे इलाज के लिए रेडक्रॉस अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां उसे आईसीयू में भर्ती कराया गया है। जान देने की कोशिश से पहले युवक ने पत्नी के नाम 6 पेज का पत्र भी लिखा है। आत्महत्या का कारण लेखापाल ने कॉलेज प्रबंधन की प्रताडऩा बताया है। अयोध्या नगर थाने के टीआई आशीष पवार के मुताबिक, अस्पताल से आइ सूचना के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस संबंध में जब कॉलेज की प्राचार्या सुनीता बिसारिया को फोन लगाया गया, तो उन्होंने रिसीव नहीं किया। संध्या मुझे माफ करना, मैं किसी से नजरें नहीं मिला पा रहा आत्महत्या की कोशिश करने से पहले नरेंद्र ने छह पेज का पत्र लिखा है कि पत्नी संध्या नाम लिखे गए इस पत्र के मुख्य अंश इस तरह है। मैं नरेंद्र शर्मा उर्फ नवीन शर्मा पुत्र खेमचंद्र शर्मा कुछ बताना चाहता हूं। सुनीता बिसारिया, डॉ. जीके अय्यर और ललीता अय्यर मुझे पिछले दो महीने से मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। मुझ पर गबन करने का आरोप लगा रहे हैं। मैं बेकसूर हूं। मैं अपने परिवार या पापा का सिर झुकते नहीं देख सकता। कॉलेज प्रबंधन बीएड और डीएड के पाठ्यक्रम के लिए छात्रों से मनमानी फीस वसूलता है। कॉलेज की डेलीबुक मे इन सबकी एंट्री है। इनके रजिस्टर भी बनाए हैं मैंने और उस रजिस्टर में बच्चों के नाम व पैसों की पूरी जानकारी है। फीस पर मैंने बच्चों के हस्ताक्षर भी लिए हैं। कोई डीएड और बीएड की शिक्षण टीम आती है तो ये लोग नकली के अध्यापक लाकर उनको कॉलेज की फैकल्टी बताते हैं। उनको पैसे दिए जाते हैं। निरिक्षण करने वाली टीम को झांसा देने के लिए प्रबंधन ने बकायदा फर्जी दस्तावेज तैयार किए है। जब उन्होनें इस खेल में कॉलेज प्रबंधन का साथ नहीं दिया तो उनपर गबन के आरोप लगा दिए गए। डर है कि ये लोग मुझे चोर साबित करने के लिए इन डेलीबुक और रजिस्टर का गलत उपयोग कर सकते हैं। अपने आप को सही साबित करने मुझे अपनी जान देनी पड़ रही है। मेरी मौत के जिम्मेदार डॉ. जीके अय्यर, ललिता अय्यर और सुनीता बिसारिया हैं। इन लोगों ने गलत अफवाह फैलाई है, जिससे मैं अपने ही स्टाफ से नजर नहीं मिला पा रहा हूं। पत्र में आगे पत्नी को संबोधित करते हुए लिखा है कि संध्या मुझे माफ करना। अब मेरे पास यही रास्ता बचा है। मैं किसी से नजरें नहीं मिला पा रहा हूं।


     

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