• उच्च न्यायालय कीर्ति आजाद की डीडीसीए जांच वाली याचिका खारिज

    नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद और बिशन सिंह बेदी की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अधिकारियों के कथित आपराधिक कृत्यों की सीबीआई जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति मनमोहन ने याचिका यह कहते हुए नामंजूर कर दी कि यह 'समय पूर्व' है। अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 23 अक्टूबर, 2015 को पहले ही मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर चुका है।...

    नई दिल्ली । दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद और बिशन सिंह बेदी की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अधिकारियों के कथित आपराधिक कृत्यों की सीबीआई जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति मनमोहन ने याचिका यह कहते हुए नामंजूर कर दी कि यह 'समय पूर्व' है। अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) 23 अक्टूबर, 2015 को पहले ही मामले की प्रारंभिक जांच शुरू कर चुका है। अदालत ने कहा, "हमारा मानना है कि मौजूदा याचिका समय पूर्व है, क्योंकि प्रारंभिक जांच पहले ही शुरू हो चुकी है। अदालत की निगरानी में जांच का आदेश महज इसीलिए नहीं दिया जा सकता कि याचिका में एक केंद्रीय मंत्री का भी नाम दर्ज है।" भाजपा के निलंबित सांसद आजाद और बेदी ने यह भी मांग की थी कि डीडीसीए की कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए स्वतंत्र प्रशासक नियुक्त किया जाए। याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा, "विशेष जांच दल या न्यायालय की निगरानी में जांच के विकल्प का इस्तेमाल दुर्लभ मामलों में ही किया जाना चाहिए, न कि सामान्य मामलों में या सिर्फ इसलिए कि याचिका में एक केंद्रीय मंत्री का भी नाम है।" न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह मामले के हर पहलू की कानून के हिसाब से जांच करे।  बेदी के वकील राम जेठमलानी ने न्यायालय से कहा था कि मामले की जांच न्यायालय की निगरानी में होनी चाहिए, क्योंकि इस बात की आशंका है कि वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का नाम मामले में होने की वजह से सीबीआई इसकी निष्पक्ष जांच कर नहीं सकेगी। कथित अनियमितताओं का यह मामला उस समय का है जब जेटली डीडीसीए के अध्यक्ष थे। 


    अतिरिक्त महाधिवक्ता और सीबीआई के वकील नीरज किशन कौल ने याचिका का विरोध किया और कहा कि सीबीआई मामले को उसके अंजाम तक ले जाएगी। कौल ने कहा, "सीबीआई स्वतंत्र संस्था है। याचिका समय पूर्व है। केवल आरोपों के आधार पर वे (याचिकाकर्ता) मामले की जांच न्यायालय की निगरानी में चाह रहे हैं। इसकी जरूरत नहीं है। याचिकाओं का इस्तेमाल हिसाब बराबर करने के लिए नहीं किया जा सकता।" केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता संजय जैन ने भी पूर्व क्रिकेटरों की याचिका का विरोध किया।

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