नई दिल्ली ! भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सोमवार को कहा कि कोई भी कंपनी विषय सामग्री के आधार पर भेदभावपूर्ण डाटा शुल्क (डिसक्रिमनेटरी प्राइसिंग) पेश नहीं कर सकती है। ट्राई के इस कदम को इंटरनेट निरपेक्षता के समर्थन में और फेसबुक की फ्री बेसिक्स तथा एयरटेल जीरो के विरोध में माना जा रहा है। ट्राई ने अपनी अधिसूचना में कहा, "कोई भी कंपनी विषय सामग्री के आधार पर डाटा सेवाओं के लिए भेदभावपूर्ण शुल्क न तो पेश करेगी और न ही लगाएगी।"
ट्राई ने कहा, "कोई भी सेवा प्रदाता कंपनी किसी भी नाम से किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी ऐसा समझौता नहीं करेगी, जिसके कारण विषय सामग्री के आधार पर विभिन्न तरह के डाटा के लिए भेदभावपूर्ण शुल्क योजना पेश की जाए या उपभोक्ताओं से भेदभावपूर्ण तरीके से शुल्क लिया जाए।"
फेसबुक ने कहा कि उसे इस फैसले से निराशा हुई है, लेकिन वह अलग-थलग रह रहे लोगों को इंटरनेट से जोड़ने की राह की बाधाओं को हटाती रहेगी।
ट्राई अध्यक्ष आर.एस. शर्मा ने कहा कि नए नियम के पीछे मूल सोच यह है कि अधिकाधिक आबादी तक इंटरनेट पहुंच सके।
उन्होंने कहा, "हमारा कहना है कि इंटरनेट लाइन को इस बात से कोई भी मतलब नहीं होना चाहिए कि इससे क्या सामग्री प्रवाहित हो रही है।"
उन्होंने हालांकि कहा कि कुछ अपवाद के भी प्रावधान रखे गए हैं।
फेसबुक के प्रवक्ता ने कहा, "फ्री बेसिक्स के साथ हमारा लक्ष्य है कि अधिकाधिक लोगों को खुले और मुक्त प्लेटफार्म से जोड़ा जाए। इस फैसले से हालांकि हमें निराशा मिली है, लेकिन हम अलग-थलग पड़े लोगों को इंटरने और इससे पैदा होने वाले अवसरों से जोड़ने की राह की बाधाओं को हटाना जारी रखेंगे।"
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यूज ने आईएएनएस से कहा, "हमें इस बात से निराशा हुई है कि ट्राई ने इंटरनेट निरपेक्षता को पारिभाषित किए बिना डिसक्रिमिनेटरी प्राइसिंग को नकार दिया। हमें उम्मीद थी कि वे हमारे सुझावों पर गौर करेंगे। यह (फ्री बेसिक्स) देश में अरबों अलग-थलग पड़े लोगों को जोड़ने का एक उपकरण था।"
फेसबुक ने एक साल पहले देश में इंटरनेट डॉट ऑर्ग लांच किया था, जिसका नाम बाद में बदलकर फ्री बेसिक्स रख दिया गया था।
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने ट्राई की अधिसूचना का स्वागत करते हुए कहा, "इस कदम से यह सुनिश्चित होगा कि देश में इंटरनेट निरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांतों का पालन किया जाएगा।"
ट्राई ने अपनी अधिसूचना में डिसक्रिमनेटरी प्राइसिंग यानी भेदभावपूर्ण डाटा शुल्क को नकारते हुए डिफरेंशियल प्राइसिंग या जीरो रेटिंग का प्रावधान किया है, जिसका मतलब यह है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां उपभोक्ताओं के शुल्क की गणना करते समय यह ध्यान नहीं रखेगी कि उपभोक्ता ने कौन-सी सामग्री डाउनलोड की है। यह इंटरनेट निरपेक्षता के लिए काफी जरूरी है। यानी, डाटा के लिए अलग शुल्क होगा।
इंटरनेट निरपेक्षता का समर्थन करने वाले डिफरेंशियल प्राइसिंग को सही ठहरा रहे हैं। इसके विरोधियों का हालांकि कहना है कि यह व्यवहारिक नहीं है, क्योंकि कंपनियों को अवसंरचना पर भारी भरकम निवेश करना होता है।
ट्राई अध्यक्ष ने कहा, "कोई भी कंपनी स्रोत, गंतव्य, एप्लीकेशन या सामग्री के आधार पर भेदभावपूर्ण शुल्क नहीं लगा सकती है।"
ट्राई ने नियम का उल्लंघन करने वालों के लिए रोजाना 50 हजार रुपये जुर्माना का प्रावधान किया है, जो अधिकतम 50 लाख रुपये तक हो सकता है।
फ्री बेसिक्स सेवा और एयरटेल जीरो जैसे एप को देखते हुए ट्राई के फैसले का लंबे समय से इंतजार था। ये एप उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट से जोड़कर समाचार, स्वास्थ्य, यात्रा, रोजगार, खेल, संवाद तथा अन्य सूचनाएं मुफ्त देने का वादा करते हैं।