• पहले दिल्ली से निकलता था पाकिस्तान का डॉन

    पाक के मशहूर शायर व वैज्ञानिक का दावा नई दिल्ली ! पाकिस्तान का मशहूर अखबार 'डान' आजादी से पहले दिल्ली से ही निकलता था और वह साप्ताहिक था। मेरे वालिद उसमें पत्रकार थे। मेरा जन्म यहीं हुआ था और विभाजन के 42 साल बाद मेरा घर यहां अचानक मिला जो एक फिल्मी किस्से की तरह है।...

    पाक के मशहूर शायर व वैज्ञानिक का दावा नई दिल्ली !   पाकिस्तान का मशहूर अखबार 'डान' आजादी से पहले दिल्ली से ही निकलता था और वह साप्ताहिक था। मेरे वालिद उसमें पत्रकार थे। मेरा जन्म यहीं हुआ था और विभाजन के 42 साल बाद मेरा घर यहां अचानक मिला जो एक फिल्मी किस्से की तरह है। यह कहना है पाकिस्तान के मशहूर शायर एवं वैज्ञानिक तथा कुलपति डॉ पीरजादा कासिम का जो गत दिनों यहां 'जश्ने बहारÓ अंतरराष्ट्रीय मुशायरे में भाग लेने आए थे।  कराची के नजीर हुसैन यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ कासिम ने बताया कि उनका जन्म दिल्ली के सीताराम बाजार के वलवले खान गली में हुआ था और जब वह साढ़े चार रिपीट साढ़े चार साल के थे तो विभाजन के बाद उनका परिवार पाकिस्तान में बस गया। उन्होंने कहा कि मेरे वालिद डान अखबार में काम करते थे जो उन दिनों दिल्ली से ही निकलता था और तब वह साप्ताहिक था। विभाजन के बाद यह अख़बार भी पाकिस्तान से निकलने लगा और वह डेली अखबार हो गया। कराची विश्वविद्यालय और उर्दू फेडरल विश्वविद्यालय में कुलपति रह चुके डॉ कासिम ने यह भी बताया कि वह विभाजन के 42 साल बाद 1989 में पहली बार प्रगति मैदान में हुए एक मुशायरे में आये थे। यह उनकी पहली भारत यात्रा थी। डॉ. कासिम कहते हैं, मैंने सोचा कि भारत आया हूं तो क्यों न मैं अपने घर को देखने जाऊं मुझे घर की एक हल्की सी याद थी, उसकी दीवारों की धुंधली तस्वीर मेरे जेहन में थी। उस मुशायरे में दो लड़कियां भी आई थीं और मेरी शायरी को बड़े गौर से सुन रही थी। अगले दिन मैं जब सीताराम बाजार गया अपने घर को ढूंढने तो अचानक दोनों लड़कियां मुझे मिल गईं और उन्होंने फौरन मुझे पहचान लिया। उन्होने कहा कि फिर वे मुझे अपने घर ले गई और बताया कि यहवही घर है जहां मेरी पैदाइश हुई थी तब मुझे भी थोडा थोडा याद आया। यह वाकया एक फिल्मी किस्से की तरह है। मुझे लगा कि कोई ख्वाब हकीकत में बदल गया। उन लड़कियों में एक दूरदर्शन में काम करती थी और दूसरी किसी कालेज में टीचर थी। इस घटना को 27 साल हो गए।


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